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B55555555555555555555555555555 ॐ विवेचन-उक्त तीन सूत्रों का अभिप्राय यह है कि यदि जीव में सम्यग्दर्शन उत्पन्न हो गया है तो
उसकी रुचि भी सम्यक् होगी और तदनुसार उसके मन, वचन, काय की प्रवृत्ति भी सम्यक् होगी। दर्शन के मिथ्या या मिश्रित होने पर उसकी रुचि एवं प्रवृत्ति भी मिथ्या एवं मिश्रित होती है।
Elaboration—The aforesaid three aphorisms convey that if a being has attained right perception he will have right inclinations and accordingly 5 right indulgence of mind, speech and body. If perception is false or mixed i his inclination and indulgence will also be mixed. के व्यवसाय-पद WAVASAYA-PAD (SEGMENT OF PURSUIT)
२७९. तिविहे ववसाए पण्णत्ते, तं जहा-धम्मिए ववसाए, अधम्मिए ववसाए, धम्मिया धम्मिए ॐ ववसाए।
___ अहवा-तिविहे ववसाए पण्णत्ते, तं जहा-पच्चक्खे, पच्चइए, आणुगामिए। ___ अहवा-तिविहे ववसाए पण्णत्ते, तं जहा-इहलोइए, परलोइए, इहलोइए-परलोइए।
२७९. व्यवसाय-(निर्णय अथवा कार्य की सिद्धि के लिए किया जाने वाला उद्यम, अनुष्ठान आदि) तीन प्रकार का है-(१) धार्मिक व्यवसाय, (२) अधार्मिक व्यवसाय, और (३) धार्मिकाधार्मिक व्यवसाय। है अथवा व्यवसाय तीन प्रकार का है-(१) प्रत्यक्ष व्यवसाय, (२) प्रात्ययिक (व्यवहार-प्रत्यक्ष)
व्यवसाय, और (३) अनुगामिक (आनुमानिक अनुमान के आधार पर किया जाने वाला व्यवसाय)।। ॐ अथवा व्यवसाय तीन प्रकार का है-(१) इहलौकिक, (२) पारलौकिक, और (३) इहलौकिक#पारलौकिक (दोनों लोकों से सम्बन्धित)। F. 279. Vyavasaya (pursuit of desired accomplishment or decision) is of
three kinds-(1) dharmik vyavasaya (religious pursuit), (2) adharmik
vyavasaya (irreligious pursuit), and (3) dharmik-adharmik vyavasaya 4 (mixed pursuit).
Also vyavasaya is of three kinds-(1) pratyaksh vyavasaya (spiritually direct pursuit), (2) pratyayik vyavasaya (practically direct 4 pursuit), and (3) anugamik vyavasaya (pursuit based on estimates).
Vyavasaya is of three kinds—(1) ihalaukik (related to this life), 9 (2) paaralaukik (related to next life), and (3) ihalaukik-paaralaukik (related to both).
२८०. इहलोइए ववसाए तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-लोइए, वेइए, सामइए। ___ २८०. इहलौकिक व्यवसाय तीन प्रकार का है-लौकिक, वैदिक और सामयिक-सिद्धान्त के अनुसार।
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| स्थानांगसूत्र (१)
(266)
Sthaananga Sutra (1)
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