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(३) अहुणोववण्णे देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुछिए जाव अज्झोववण्णे तस्स णं एवं भवति - इण्हिं गच्छं मुहुत्तं गच्छं, तेणं कालेणमप्पाउया मणुस्सा कालधम्पुणा संजुत्ता भवंति ।
इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं अहुणोववण्णे देवे देवलोगेसु इच्छेज्ज माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएति हव्यमागच्छित्तए ।
२४५. देवलोक में तत्काल उत्पन्न देव शीघ्र ही मनुष्यलोक में आना चाहता है, किन्तु इन तीन कारणों से आ नहीं सकता
(१) देवलोक में तत्काल उत्पन्न देव दिव्य काम - भोगों में मूर्च्छित ( मोहग्रस्त ), गृद्ध (अतृप्त), बद्ध
(स्नेह से बँधा ) एवं अत्यन्त आसक्त होकर मानवीय काम-भोगों को न आदर देता है, न उन्हें अच्छा जानता है, न उनसे प्रयोजन रखता है, न निदान - ( उन्हें पाने का संकल्प) करता है और न स्थितिप्रकल्प - (उनके बीच में रहने की इच्छा) करता है।
प्रेम
(२) देवलोक में तत्काल उत्पन्न, दिव्य काम-भोगों में मूर्च्छित, गृद्ध एवं आसक्त देव का मानवीयटूट जाता है तथा उसमें दिव्य देव सम्बन्धी प्रेम संक्रान्त हो जाता है।
(३) देवलोक में तत्काल उत्पन्न, दिव्य काम-भोगों में मूर्च्छित, (गृद्ध, बद्ध) तथा आसक्त देव सोचता है - मैं मनुष्य लोक में अभी नहीं, थोड़ी देर में, एक मुहूर्त्त के बाद जाऊँगा, इस प्रकार उसके सोचते रहने के समय में ही अल्प आयु का धारक मनुष्य (जिनके लिए वह जाना चाहता था) कालधर्म को प्राप्त हो जाते हैं।
इन तीन कारणों से देवलोक में तत्काल उत्पन्न देव शीघ्र ही मनुष्यलोक में आना चाहता है, किन्तु आ नहीं सकता।
245. A newly born god in the divine realm soon wants to come to the land of humans but he cannot come for three reasons
( 3 ) A newly born god in the divine realm gets fond of (murchhit), and so on up to... obsessed with (aasakt) divine pleasures, and thinks - I will not go to the land of humans just now but after some time, after one muhurt, and so on. During this period of indecision the short lived man (for whom he desired to visit) dies.
For these three reasons a newly born god in the divine realm wishing to come to the land of humans cannot come.
(1) A newly born god in the divine realm gets attracted to (murchhit ), infatuated with (griddha ), captivated by (baddha) and obsessed with 5 (aasakt) divine pleasures, and does not have regard, liking, concern and desire for human pleasures. He does not even have sthiti-prakalp or wish to live among them (humans).
स्थानांगसूत्र (१)
(2) The love for humans of a newly born god in the divine realm, फ getting attracted to (murchhit), and so on up to... obsessed with 5 (aasakt) divine pleasures, shatters and he is infused with love for 5 divine pleasures.
(252)
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Sthaananga Sutra (1)
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