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(२) दुःख स्पृश्य है-(आत्मा से उसका स्पर्श होता है।) (३) दुःख क्रियमाण कृत है-(वह आत्मा के द्वारा किये जाने पर होता है।) उसे करके ही प्राण, भूत, जीव, सत्त्व उसकी वेदना का चेदन करते हैं। ऐसा मेरा वक्तव्य है।
221. Bhante ! Some people belonging to other schools say, speaky establish and explain thus regarding the views of Shraman Nirgranth (Jain ascetics) about performing an act
(1) Performed action with consequence is not in question here. (2) Performed action without consequence is not in question here. (3) Not performed action without consequence is not in question here.. (4) Not performed action with consequence is in question here. They state(1) Misery as action cannot be performed (it is not performed by soul). (2) Misery is untouchable (soul does not touch it).
(3) Misery is a non-performed act (it manifests without any action i by soul).
Pran, bhoot, jiva and sattva (beings, organisms, souls and entities suffer it without indulging in action.
(Answer) “Long lived Shramans ! Those who say thus are telling a liesi I say, speak, establish and explain that
(1) Misery as action is performed (it is earned by soul through action) (2) Misery is touchable (soul touches it). (3) Misery is a performed act (it manifests through an action by soul).
Pran, bhoot, jiva and sattva (beings, organisms, souls, and entities suffer it only through indulging in action. So I say.
विवेचन-उक्त सूत्र का स्पष्टीकरण करते हुए आचार्य श्री आत्माराम जी म. लिखते हैं कि किये हुएफ कर्म के फल के विषय में यहाँ चार भंग कहे गये हैं। अन्य संप्रदाय वाले पूछते हैं
(१) जो क्रिया रूप कर्म किया हुआ भोगा जाता है, उसके विषय में तो हमारा कोई प्रश्न नहीं है। क्योंकि जो कर्म किया है उसे तो भोगना ही पड़ता है। यह सब मानते हैं।
(२) जो क्रिया रूप किया हुआ कर्म भोगने में नहीं आता, उस विषय में भी हम नहीं पूछते। क्योंकि तप के द्वारा उस कर्म को भस्म कर देने पर उसमें फल देने की शक्ति नहीं रहती।
(३) जो क्रिया रूप कर्म नहीं किया है, वह भोगने में नहीं होता उस विषय में भी हमारा प्रश्न नहीं है। क्योंकि कर्म किये बिना दुःख नहीं होता।
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स्थानांगसूत्र (१)
(240)
Sthaananga Sutra (1)
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