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________________ 红FFFFFFFF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F听听听听听 5555))))))))))))))))55555555555 १९२. तीन प्रकार के पुरुष होते हैं, जैसे-कोई अमुक स्थान पर नहीं गया, ऐसा विचार क सुमन, कोई दुर्मन और कोई समभाव रहता है (३)। १९३. तीन प्रकार के पुरुष होते हैं, जैसे-कोई पुरुष मैं नहीं जाता हूँ, ऐसा विचारने से सुम और कोई दुर्मन तथा कोई न सुमन न दुर्मन होता है (३)। १९४. तीन प्रकार के पुरुष होते हैं, जैसे-मैं नहीं जाऊँगा, ऐसा विचारने से कोई सुमन, को दुर्मन और कोई तटस्थभावयुक्त रहता है (३)। १९५. इसी प्रकार कोई पुरुष (भूतकाल में) अमुक स्थान पर आया था, यह विचार कर सुमन कोई दुर्मन और कोई समभावयुक्त रहता है। १९६. अमुक स्थान पर आता हूँ, यह विचार कर कोई सुमन, कोई दुर्मन और कोई मध्यस्थ भा युक्त होता है। १९७. इसी प्रकार कोई व्यक्ति अमुक स्थान पर (भविष्यत् काल) आऊँगा, ऐसा विचारने र सुमन, कोई दुर्मन और कोई तटस्थ रहता है। इसी अभिलाप से निम्नलिखित गाथाओं को जानन चाहिए, जैसे १९८. (१) अमुक स्थान पर जाकर और न जाकर (३)। (२) अमुक स्थान पर आकर और न आकर (३) । (३) अमुक स्थान पर ठहरकर और न ठहरकर (३)। (४) अमुक स्थान में बैठकर और न बैठकर (३)। (५) अमुक व्यक्ति को मारकर और न मारकर (३)। (६) अमुक का छेदन कर और न छेदन कर (३)। (७) अमुक पद-वाक्यादि बोलकर और न बोलकर (३)। (८) अमुक से संभाषण वार्तालाप कर और न कर (३)। (९) अमुक को देकर और न देकर (३)। (१०) अमुक वस्तु खाकर और न खाकर (३)। (११) अमुक वस्तु प्राप्त कर और न प्राप्त कर (३)। (१२) अमुक पेय पीकर और न पीकर (३)। (१३) अमुक समय व स्थान पर सोकर और न सोकर। (१४) अमुक से युद्ध करके और न करके। (१५) अमुक को जीतकर और न जीतकर। (१६) अमुक से पराजित होकर और न होकर। स्थानांगसूत्र (१) (228) Sthaananga Sutra (1) For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002905
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages696
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size21 MB
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