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within four months and then accept Chhedopasthaniya Chaaritra. This is the medium training period. (3) A new initiate who is highly intelligent and talented completes this training in seven days and accepts Chhedopasthaniya Chaaritra. This is the minimum training period. (Vyavahar Bhashya 2/53-54) थेरभूमि-पद THERABHUMI-PAD (SEGMENT OF CLASS OF SENIOR ASCETIC)
१८७. तओ थेरभूमीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-जातिथेरे, सुयथेरे, परियायथेरे। सद्विवासजाए है समणे णिग्गंथे जातिथेरे, ठाणसमवायधरे णं समणे णिग्गंथे सुयथेरे, वीसवासपरियाए णं समणे मणिग्गंथे परियायथेरे।
१८७. तीन स्थविरभूमियाँ हैं-(१) जातिस्थविर, (२) श्रुतस्थविर, और (३) पर्यायस्थविर। साठ + वर्ष का श्रमण निर्ग्रन्थ जातिस्थविर-(वयःस्थविर) है। स्थानांग और समवायांग का धारक श्रमण E श्रुतस्थविर है और बीस वर्ष की दीक्षापर्याय वाला श्रमण निर्ग्रन्थ पर्यायस्थविर है। $ 187. There are three kinds of sthavir-bhumi (classes of senior
ascetic)-(1) jati sthavir, (2) shrut sthavir, and (3) paryaya sthavir. A sixty year old shraman nirgranth (Jain ascetic) is jati şthavir (senior in terms of age). An ascetic who has thoroughly studied Sthananga and Samvayanga is shrut sthavir (senior in terms of canonical knowledge). An ascetic who has spent twenty years as an ascetic is paryaya sthavir (senior in terms of period of initiation). सुमन-दुर्मनादि-पद [ मनोवृत्ति के अनुरूप मानव चरित्र का विश्लेषण] SUMAN-DURMANADI-PAD (SEGMENT OF GOOD TEMPERED, BAD TEMPERED ETC.)
१८८. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुमणे, दुम्मणे, णोसुमणे-णोदुम्मणे।
१८९. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-गंता णामेगे सुमणे भवइ, गंता णामेगे दुम्मणे भवइ, गंता णामेगे णोसुमणे णोदुम्मणे भवइ। १९०. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाजामीतेगे सुमणे भवइ, जामीतेगे दुम्मणे भवइ, जामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ। १९१. एवं जाइस्सामीतेगे सुमणे भवइ (३)।
१९२. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अगंता णामेगे सुमणे भवइ (३)। १९३. तओ पुरिस जाया पण्णत्ता, तं जहा-ण जामि एगे सुमणे भवइ (३)। १९४. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-ण जाइस्सामि एगे सुमणे भवइ (३)।
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स्थानांगसूत्र (१)
(226)
Sthaananga Sutra (1)
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