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द्वितीय उद्देशक SECOND LESSON
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लोक-पद LOK-PAD (SEGMENT OF UNIVERSE)
१४०. तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहा-णामलोगे, ठवणालोगे, दव्वलोगे। १४१. तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहा-णाणलोगे, दंसणलोगे, चरित्तलोगे। १४२. तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहाम उड्डलोगे, अहोलोगे, तिरियलोगे।
१४०. लोक तीन प्रकार के हैं-(१) नामलोक, (२) स्थापनालोक, और (३) द्रव्यलोक 5 (षड्द्रव्यात्मक)। १४१. लोक तीन प्रकार के हैं-(१) ज्ञानलोक, (२) दर्शनलोक (जिसकी लोक पर
श्रद्धा हो), और (३) चारित्रलोक (जहाँ चारित्र की आराधना होती हो)। (ये तीनों भावलोक हैं) के 卐 १४२. लोक तीन प्रकार के हैं-(१) ऊर्ध्वलोक, (२) अधोलोक, और (३) तिर्यग्लोक (क्षेत्र लोक)। .
140. Lok (universe) is of three kinds—(1) naam lok (lok as name), (2) sthapana lok (lok as notional installation), and (3) dravya lok (physical lok with six entities). 141. Lok (universe) is of three kinds
(1) jnana lok (lok of knowledge), (2) darshan lok (lok of perception/faith), 4 and (3) chaaritra lok (lok of conduct). 142. Lok (universe) is of three 4
kinds—(1) urdhva lok (higher lok; heavens), (2) adho lok (lower lok;
hells), and (3) tiryak lok (transverse lok). + देव--परिषद्-पद DEV-PARISHAD-PAD (SEGMENT OF DIVINE ASSEMBLY) ॐ १४३. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
समिता, चंडा, जाया। अभिंतरिया समिता, मज्झिमिया चंडा, बाहिरिया जाया। १४४. चमरस्स णं म असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सामाणियाणं देवाणं तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-समिता
जहेव चमरस्स। १४५. एवं-तायत्तीसगाणवि। १४६. लोगपालाणं-तुंबा तुडिया पव्या। म १४७. एवं अग्गमहिसीणवि। १४८. बलिस्सवि एवं चेव जाव अग्गमहिसीणं।
१४३. असुरकुमारों के राजा चमर असुरेन्द्र की तीन परिषद् (सभा) हैं-(१) समिता, (२) चण्डा, + और (३) जाता। आभ्यन्तर परिषद् का नाम समिता है, मध्य की परिषद् का नाम चण्डा है और बाहरी
परिषद् का नाम जाता है। १४४. असुरकुमारों के राजा चमर असुरेन्द्र के सामानिक (इन्द्र के समान फ़ माननीय) देवों की तीन परिषद् हैं-(१) समिता, (२) चण्डा, और (३) जाता। १४५. इसी प्रकार चमर
असुरेन्द्र के त्रायस्त्रिंशकों (मंत्री या पुरोहित) की तीन परिषद् हैं। १४६. चमर असुरेन्द्र के लोकपालकों (सीमारक्षक) की तीन परिषद् हैं-(१) तुम्बा, (२) त्रुटिता, और (३) पर्वा। १४७. इसी प्रकार चमर
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तृतीय स्थान
(215)
Third Sthaan
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