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5 विमान-पद VIMAAN PAD (SEGMENT OF CELESTIAL VEHICLES) १३७. बंभलोग - लंतएसु णं कप्पेसु विमाणा तिवण्णा पण्णत्ता, तं जहा - किण्णा, णीला, लोहिया ।
१३७. ब्रह्मलोक और लान्तक देवलोक के विमान तीन वर्ण वाले हैं - (१) कृष्ण, (२) नील, और (३) लोहित (लाल) ।
137. The celestial vehicles of Brahmalok and Lantak Devlok are of three colours—– ( 1 ) black, (2) blue, and (3) red.
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देव - पद DEV PAD (SEGMENT OF DIVINE BEINGS)
१३८. आणयपाणयारणच्चुतेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारिणज्जसरीरगा उक्कोसेणं तिणि रयणीओ उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता ।
१३८. (१) आनत, (२) प्राणत, (३) आरण और अच्युत कल्पों में देवों के भवधारणीय शरीर 4 की उत्कृष्ट ऊँचाई तीन रनि-प्रमाण होती है।
138. The maximum height of the bhavadharaniya sharira (incarnation sustaining body) of gods in (1) Anat, (2) Pranat, and (3) Aran and Achyut kalps ( specific divine dimension) is three Ratni.
5 प्रज्ञप्ति - पद PRAJNAPTI-PAD (SEGMENT OF EXPLANATORY TEXTS)
१३९. तओ पण्णत्तीओ कालेणं अहिज्जंति, तं जहा - चंदपण्णत्ती, दीवसागरपण्णत्ती ।
सूरपण्णत्ती,
१३९. तीन प्रज्ञप्तियाँ यथाकाल ( प्रथम और अन्तिम पौरुषी में) पढ़ी जाती हैं - (१) चन्द्रप्रज्ञप्ति, (२) सूर्यप्रज्ञप्ति, और (३) द्वीपसागर प्रज्ञप्ति । ( वृत्तिकार के अनुसार पाँच प्रज्ञप्ति की प्राचीन मान्यता है, परन्तु यहाँ तीसरा स्थान होने से व्याख्याप्रज्ञप्ति तथा जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति का उल्लेख नहीं किया है।)
॥ प्रथम उद्देशक समाप्त ॥
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139. Three Prajnaptis (explanatory texts) are studied at their prescribed time (first and last quarter of the day)-(1) Chandra 5 Prajnapti, ( 2 ) Surya Prajnapti, and ( 3 ) Dveep Sagar Prajnapti. 5 (According to the author of the Vritti the ancient tradition has five Prajnaptis. However, as this is the third placement Vyakhya Prajnapti and Jambudveep Prajnapti have not been included.)
END OF THE FIRST LESSON
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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