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(उत्तर) (हे आयुष्मन् !) जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन वर्ष तक उनकी योनि रहती है। तत्पश्चात् योनि म्लान हो जाती है, विध्वस्त हो जाती है, विनष्ट हो जाती है, अबीज हो जाती है, योनि म का विच्छेद हो जाता है अर्थात् बीज बोने पर उगने योग्य नहीं रहते।
125. (Question) Bhante ! How long does the yoni (productive capacity) of shali (rice), brihi (a type of rice), genhun (wheat), jau (barley), yavayava (a type of barley) and other grains last once they are stored in kotha (silo), palya (basket made of bamboo or cane), machan (store on a raised wooden platform) and mala (store on roof top) and thereafter i covered, sealed, marked, stamped and properly closed ?
(Answer) "Long lived one ! Their productive capacity lasts for a minimum period of antarmuhurt (less than 48 minutes) and a maximum 41 period of three years. After that the yoni (productive capacity) gets weak, shattered, destroyed and becomes seedless and sterile. In other words the seeds no longer germinate on sowing नरक-पद NARAK-PAD (SEGMENT OF HELL)
१२६. दोचाए णं सक्करप्पभाए पुढवीए णेरइयाणं उक्कोसेणं तिण्णि सागरोदमाई ठिती पण्णत्ता। १२७. तच्चाए णं वालुयप्पभाए पुढवीए जहण्णेणं णेरइयाणं तिण्णि सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। १२८. पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिण्णि णिरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। १२९. तिसु णं पुढवीसु णेरइयाणं उसिणवेयणा पण्णत्ता, तं जहा-पढमाए, दोच्चाए, तच्चाए। १३०. तिसु णं पुढवीसु णेरइया उसिणवेयणं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा-पढमाए, दोच्चाए, तच्चाए।
१२६. दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी में नारकों की उत्कृष्ट स्थिति तीन सागरोपम की है। १२७. तीसरी , बालुकाप्रभा पृथ्वी में नारकों की जघन्य स्थिति तीन सागरोपम है। १२८. पाँचवीं धूमप्रभा पृथ्वी में तीन लाख नारकावास हैं। १२९. प्रथम, द्वितीय और तृतीय इन तीन पृथ्वियों में नारकों के उष्ण वेदना होती है। १३०. प्रथम, द्वितीय और तृतीय इन तीन पृथ्वियों में नारक जीव उष्ण वेदना का अनुभव करते रहते हैं। ____126. The maximum life span of naaraks (infernal beings) in the second hell called Sharkaraprabha prithvi is three Sagaropam (metaphoric unit of time). 127. The minimum life span of naaraks (infernal beings) in the third hell called Balukaprabha prithvi is three Sagaropam (metaphoric unit of time). 128. In the fifth hell called Dhoomprabha prithvi there are three hundred thousand infernal dwellings. 129. The infernal beings of the first, second and third hell are said to go
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तृतीय स्थान
(211)
Third Sthaan
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