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5 आयुष्य-पद AYUSHYA-PAD (SEGMENT OF LIFE SPAN)
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121. Three kinds of uttam purush (best among men) enjoy the full or maximum life span of their period (every period has maximum and minimum life 卐 spans assigned to various beings ) – ( 1 ) Arhant,
5 (2) Chakravarti, and (3) Baladev and Vasudev. 122. Three kinds of uttam purush (best among men) enjoy the medium life span of their period(1) Arhant, (2) Chakravarti, and ( 3 ) Baladev and Vasudev.
१२३.
बायर उकाइयाणं
उक्कोसेणं
तिण्णि राइंदियाई
ठिती
१२४. बायरवाउकाइयाणं उक्कोसेणं तिण्णि वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता ।
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१२१. तओ अहाउयं पालयंति, तं जहा - अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेव - वासुदेवा ।
फ्र
१२२. तओ मज्झिममाउयं पालयंति, तं जहा - अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेव - वासुदेवा ।
5 वायुकायिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन हजार वर्ष की है।
फ्र
१२१. तीन उत्तम पुरुष अपने समय की पूरी आयु का उपभोग करते हैं - (१) अरहन्त,
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(२) चक्रवर्ती, और (३) बलदेव - वासुदेव । १२२. तीनों अपने समय की (अपने युग के अन्य लोगों की
अपेक्षा) मध्यम आयु का पालन करते हैं - (१) अरहन्त, (२) चक्रवर्ती, और (३) बलदेव - वासुदेव ।
5 (gross ) vayukayik jivas (air-bodied beings) is three thousand years.
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5 योनिस्थिति-पद YONISTHITI-PAD (SEGMENT OF PRODUCTIVE LIFE)
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5 beings) is three nights and three days. 124. The maximum life of badar 5
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१२३. बादर तेजस्कायिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन रात-दिन की है । १२४. बादर
123. The maximum life of badar (gross ) tejaskayik jivas (fire-bodied
१२५. अह भंते ! सालीणं वीहीणं गोधूमाणं जवाणं जवजवाणं - एतेसि णं धण्णाणं
कोट्टाउत्ताणं पल्ला उत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं ओलित्ताणं लित्ताणं लंछियाणं मुद्दियाणं पिहित्ताणं
hari कालं जोणी संचिट्ठति ?
जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि संवच्छराई । तेण परं जोणी पमिलायति । तेण परं जोणी पविद्धंसति । तेण परं जोणी विद्वंसति । तेण परं बीए अबीए भवति । तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते ।
१२५. (प्रश्न) भगवन् ! शालि, ब्रीहि, गेहूँ, जौ और यवयव (जौ विशेष) इन धान्यों की कोठे में सुरक्षित रखने पर, पल्य (धान्य भरने की बाँस आदि से बनी टोकरी अथवा पात्र - विशेष) में सुरक्षित
5 रखने पर, मचान और माले में डालकर, उनके द्वार-देश को ढक्कन से ढक देने पर उसे लीप देने पर,
पण्णत्ता ।
5 बन्द रखने पर उनकी योनि - ( उत्पादक शक्ति) कितने काल तक रहती है ?
चारों ओर से लीप देने पर, रेखादि से चिह्नित कर देने पर, मुद्रा (मोहर) लगा देने पर अच्छी तरह
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
மிமிமிததமி தததத ததததமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிதமிழழதழதழதமிமிமிமிமிமிமிதி
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