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time of initiation of Arihants, and (3) at the time of celebrating the attainment of Keval jnana (omniscience) by Arihants.
७४. तिर्हि ठाणेहिं देवंधकारे सिया, तं जहा - अरहंतेहिं वोच्छिज्जमाणेहिं, अरहंत पण्णत्ते धम्मे वोच्छिज्जमाणे, पुव्वगते वोच्छिज्जमाणे । ७५. तिहिं ठाणेहिं देवुज्जोते सिया, तं जहा - अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु ।
७४. तीन कारणों से देवलोक में अंधकार होता है- (१) अरहन्तों के विच्छेद होने पर, (२) अर्हत्प्ररूपित धर्म के विच्छेद होने पर, और (३) पूर्वगत श्रुत के विच्छेद होने पर। ७५. तीन कारणों से देवलोक फ्र के भवनों आदि में उद्योत होता है- (१) अरहन्तों के जन्म लेने के समय, (२) अरहन्तों के प्रव्रजित होने के 5 समय, और (३) अरहन्तों के केवलज्ञान उत्पन्न होने की महिमा के समय ।
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74. There are three reasons for spread of darkness in devlok (divine 5 realm or the heavens ) - ( 1 ) on nirvana of Arihants, ( 2 ) on extinction of
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the religion propagated by Arhat, and (3) on extinction of the subtle फ्र canon. 75. There are three reasons for spread of light in devlok (divine
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5 realm) – (1) at the time of birth of Arihants, (2) at the time of initiation of 5 5 Arihants, and (3) at the time of celebrating the attainment of omniscience by Arihants.
स्थानांगसूत्र (१)
७६. तिहिं ठाणेहिं देवसण्णिवाए सिया, तं जहा - अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । ७७ एवं देवुक्कलिया। ७८. एवं देवकहकहए । ७९. तिर्हि ठाणेहिं देविंदा माणुसं लोगं हव्वमागच्छंति, तं जहा - अरहंतेहिं जायमाणार्ह, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । ८०. एवं सामाणिया, तायत्तीसगा, लोगपाला देवा, 5 अग्गमहिसीओ देवीओ, परिसोववण्णगा देवा, अणियाहिवई देवा, आयरक्खा देवा माणुसं लोगं हव्वमागच्छंति ।
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(194)
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Sthaananga Sutra (1)
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७६. तीन कारणों से देव - सनिपात - ( देवों का मनुष्यलोक में आगमन होता है- (१) अरहन्तों का जन्म होने पर, (२) अरहन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, और (३) अरहन्तों के केवलज्ञान उत्पन्न 5 होने की महिमा के प्रसंग पर । ७७. इसी प्रकार देवोत्कलिका (विमानवासी देवताओं का महासमागम ), और ७८. देव कह-कह (हर्षवश किया हुआ कल-कल शब्द) भी उक्त तीन कारणों से होता है । ७९. तीन कारणों से देवेन्द्र अति शीघ्र मनुष्यलोक में आते हैं - ( १ ) अरहन्तों के जन्म होने पर,
(२)
अरहन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, और (३) अरहन्तों के केवलज्ञान उत्पन्न होने का महोत्सव मनाने । ८०. इसी प्रकार सामानिक, त्रायस्त्रिंशक और लोकपाल देव, अग्रमहिषी देवियाँ, पारिषद्य देव, अनीकाधिपति तथा आत्मरक्षक देव उक्त तीन कारणों से शीघ्र मनुष्यलोक में आते हैं।
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76. There are three reasons for dev-sannipat (descending of gods on the 5 land of humans or earth) -- (1) at the time of birth of Arihants, (2) at the
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