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5555555555555555555555555555555555 म अथवा गर्दा तीन प्रकार की है-(१) कुछ लोग दीर्घकाल तक पाप-कर्मों की गर्दा करते हैं, ॐ (२) कुछ लोग अल्पकाल तक पाप-कर्मों की गर्दा करते हैं, और (३) कुछ लोग काया का निरोध कर 卐 म गर्दा करते हैं-(पाप-कर्मों को नहीं करने के रूप में )।
26. Garha (to reproach oneself for sins committed in the past) is of three kinds—(1) Some people reproach with mind, (2) Some people 4i reproach with speech, (3) Some people reproach with body, by way of not indulging in sinful activities.
Also garha (to reproach oneself for sins committed in the past) is of three kinds—(1) Some people reproach themselves for a long period for 41 the sins committed, (2) Some people reproach themselves for a short 11 period for the sins committed, (3) Some people reproach by restraining
their body, by way of not indulging in sinful activities. ॐ प्रत्याख्यान-पद PRATYAKHYAN-PAD (SEGMENT OF ABSTAINMENT)
२७. तिविहे पच्चक्खाणे पण्णत्ते, तं जहा-मणसा वेगे पच्चक्खाति, वयसा वेगे पच्चक्खाति, # कायसा वेगे पच्चक्खाति-पावाणं कम्माणं अकरणयाए । - [अहवा-पच्चक्खाणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-दीहंपेगे अद्धं पच्चक्खाति, रहस्संपेगे अद्धं पच्चक्खाति, कायंपेगे पडिसाहरति-पावाणं कम्माणं अकरणयाए ।
२७. प्रत्याख्यान-(भविष्य में पाप-कर्मों का त्याग) तीन प्रकार का है-(१) कुछ लोग मन से । प्रत्याख्यान करते हैं, (२) कुछ लोग वचन से प्रत्याख्यान करते हैं, और (३) कुछ लोग काया से ।
प्रत्याख्यान करते हैं। [पाप-कर्मों को आगे नहीं करने के रूप से। # अथवा प्रत्याख्यान तीन प्रकार का है-(१) कुछ लोग दीर्घकाल तक पाप-कर्मों का प्रत्याख्यान करते । हैं, (२) कुछ लोग अल्पकाल तक पाप-कर्मों का प्रत्याख्यान करते हैं, और (३) कुछ लोग काया का
निरोध कर प्रत्याख्यान करते हैं पाप-कर्मों को आगे नहीं करने के रूप में।] 5 27. Pratyakhyan (to resolve to abstain from sinful activity) is of three
kinds(1) Some people abstain with mind, (2) Some people abstain with 7 speech, (3) Some people abstain with body, by way of resolving not to indulge in sinful activities in future.
Also pratyakhyan (to resolve to abstain from sinful activity) is of three kinds—(1) Some people abstain from sinful activity for a long i period, (2) Some people abstain from sinful activity for a short period,
(3) Some people abstain by restraining their body, by way of resolving not to indulge in sinful activities in future. उपकार-पद UPAKAR-PAD (SEGMENT OF BENEFICENCE)
२८. तओ रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा-पत्तोवगे, पुष्फोवगे, फलोवगे।
| तृतीय स्थान
(183)
Third Sthaan
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