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5 मैथुन - प्रकार- पद MAITHUN PRAKAR-PAD (SEGMENT OF TYPES OF COPULATION)
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१०. तिविहे मेहुणे पण्णत्ते, तं जहा - दिव्वे, माणुस्सए, तिरिक्खजोणिए । ११. तओ मेहुणं
5 गच्छंति, तं जहा - देवा, मणुस्सा, तिरिक्खजोणिया । १२. तओ मेहुणं सेवंति, तं जहा- इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा ।
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१०. मैथुन तीन प्रकार का है- (१) दिव्य, (२) मानुष्य, और (३) तिर्यग्योनिक । ११. तीन प्रकार के जीव मैथुन करते हैं - (१) देव, (२) मनुष्य, और (३) तिर्यंच । १२. तीन प्रकार के जीव 5 मैथुन का सेवन करते हैं - (१) स्त्री, (२) पुरुष, और (३) नपुंसक । (वृत्तिकार अभयदेवसूरि ने स्त्रीपुरुष के सात-सात और नपुंसक के दो लक्षण बताये हैं - वृत्ति, पृष्ठ १८०)
10. Maithun (copulation) is of three kinds-(1) divya (divine), (2) maanushya (of humans), and (3) tiryak-yonik (of animals). 11. Three kinds of beings are capable of maithun (copulation ) - (1) divya (divine beings), (2) manushya (humans ), and (3) tiryanch (animals). 12. Three kinds of beings indulge in maithun (copulation)-(1) stree (female), (2) purush (male) a and (3) napumsak (neuter ). ( The commentator Abhayadev Suri has mentioned seven features each of male and female and two eunuchs - Commentary, page 180)
योग - पद YOGA-PAD (SEGMENT OF ASSOCIATION)
१३. तिविहे जोगे पण्णत्ते, तं जहा-मणजोगे, वइजोगे, कायजोगे । एवं णेरइयाणं विगलिंदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं । १४. तिविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा - मणपओगे, वइपओगे, कायपओगे । जहा जोगो विगलिंदियवज्जाणं जाव तहा पओगोवि ।
१३. योग तीन प्रकार का होता है - (१) मनोयोग, (२) वचनयोग, और (३) काययोग। इसी प्रकार विकलेन्द्रियों- (एकेन्द्रियों से लेकर चतुरिन्द्रियों तक के जीवों) को छोड़कर वैमानिक देवों तक के सभी दण्डकों में तीन-तीन योग होते हैं । १४. प्रयोग तीन प्रकार का होता है - (१) मनः प्रयोग, (२) वचनयोग, और (३) कायप्रयोग। जैसा योग का कथन है, उसी प्रकार विकलेन्द्रियों को छोड़कर शेष सभी दण्डकों में तीनों ही प्रयोग जानना चाहिए।
13. Yoga (association) is of three kinds – (1) manoyoga (mind association), (2) vachan-yoga (speech association), and (3) kayayoga (body association). Besides vikalendriyas (one sensed to four sensed beings) beings belonging to all dandaks (places of suffering) up to Vaimaniks have all these three associations. 14. Prayoga (activity) is of three kinds~(1) manah-prayoga (mental activity), (2) vachan-prayoga (vocal activity), and ( 3 ) kayaprayoga (physical activity).
तृतीय स्थान
(177)
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