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428. Ayushya karma (karma that defines life span in any specific 5 existence as a living being) is of two kinds-addhayushya (life span of a
specific body) and bhavayushya (life span of a specific birth).
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430. Gotra karma (karma responsible for the higher or lower status of a being) is of two kinds-uchcha gotra (higher status) and neech gotra (lower status ).
429. Naam karma (name karma or karma that determines the destinies and body types) is of two kinds – shubh-naam ( noble name) and 5 ashubh naam (ignoble name).
431. Antaraya karma (power obscuring karma) is of two kinds— prattutpanna vinashi (which destroys the already acquired gains) and pihitagamipath (which hinders the future gains).
मूर्च्छा - पद MURCHCHHA-PAD (SEGMENT OF DELUSION)
४३२. दुविहा मुच्छा पण्णत्ता, तं जहा - पेज्जवत्तिया चेव, दोसवत्तिया चेव । ४३३. मुच्छा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - माया चेव, लोभे चेव । ४३४. दोसवत्तिया मुच्छा दुविहा पण्णत्ता, जहा - कोधे चेव, माणे चेव ।
४३२. मूर्च्छा दो प्रकार की है - प्रेयस्प्रत्यया (प्रेम या राग के कारण होने वाली मूर्च्छा) और द्वेषप्रत्यया (द्वेष के कारण होने वाली मूर्च्छा) । ४३३. प्रेयस्प्रत्यया मूर्च्छा दो प्रकार की है - मायारूपा और लोभरूपा। ४३४. द्वेषप्रत्यया मूर्च्छा दो प्रकार की है - क्रोधरूपा और मानरूपा ।
432. Murchchha (delusion) is of two kinds-preyaspratyaya (caused by love or attachment) and dvesh-pratyaya (caused by aversion). 433. Preyaspratyaya is of two kinds-maya-rupa (manifesting as deception) and lobh-rupa (manifesting as greed). 434. Dvesh-pratyaya is of two kinds-krodh-rupa (manifesting as anger) and maan-rupa (manifesting as conceit).
पेज्जवत्तिया
आराधना - पद ARADHANA-PAD (SEGMENT OF SPIRITUAL PRACTICE)
४३५. दुविहा आराहणा पण्णत्ता, तं जहा - धम्मियाराहणा चेव, केवलिआराहणा चेव । ४३६. धम्मियाराहणा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सुयधम्माराहणा चेव, चरित्तधम्माराहणा चेव । ४३७. केवलि आराहणा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - अंतकिरिया चेव, कप्पविमाणोववत्तिया चेव ।
स्थानांगसूत्र (१)
जाने
४३५. आराधना दो प्रकार की कही है - धार्मिक आराधना (श्रावक एवं साधु जनों के द्वारा की वाली) और कैवलिकी आराधना (केवलियों के द्वारा की जाने वाली ) । ४३६. धार्मिकी आराधना दो प्रकार की है - श्रुतधर्म की आराधना और चारित्रधर्म की आराधना । ४३७. कैवलिकी आराधना दो प्रकार की है - अन्तक्रियारूपा और कल्पविमानोपपत्तिका ।
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Sthaananga Sutra (1)
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