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४२७. मोहणिज्जे कम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- दंसणमोहणिज्जे चेव, चरित्तमोहणिज्जे चेव । ४२८. आउए कम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - अद्धाउए चेव, भवाउए चेव । ४२९. णामे कम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सुभणामे चेव, असुभणामे चेव । ४३०. गोत्ते कम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-उच्चागोते चेव, णीयागोते चेव ।
४३१. अंतराइए कम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - पडुप्पण्णविणासिए चेव, पिहेति य आगामिपहं । ४२४. ज्ञानावरणीय कर्म दो प्रकार का है- देश ज्ञानावरणीय (मति, श्रुत, अवधि, मनः पर्यवज्ञान का आवरण) और सर्वज्ञानावरणीय (केवलज्ञानवरण) ।
४२५. इसी प्रकार दर्शनावरणीय कर्म दो प्रकार का है।
४२६. वेदनीय कर्म दो प्रकार का है-सातावेदनीय और असातावेदनीय ।
४२७. मोहनीय कर्म दो प्रकार का है-दर्शनमोहनीय और चारित्रमोहनीय |
४२८. आयुष्यकर्म दो प्रकार का है - अद्धायुष्य (कायस्थिति की आयु ) और भवायुष्य (उसी भव की आयु) ।
४२९. नामकर्म दो प्रकार का है - शुभनाम और अशुभनाम 1
४३०. गोत्रकर्म दो प्रकार का है - उच्चगोत्र और नीचगोत्र ।
४३१. अन्तरायकर्म दो प्रकार का है - वर्तमान में प्राप्त वस्तु का विनाश करने वाला और पिहितआगामिपथ अर्थात् भविष्य में प्राप्त होने वाले लाभ को रोकने वाला ।
426. Vedaniya karma (karma that causes feelings of happiness or misery) is of two kinds-sata vedaniya (karma that causes feelings of pleasure) and asata vedaniya (karma that causes feelings of pain or grief). 427. Mohaniya karma (deluding karma; karma that prevents the true perception of reality and the purity of soul) is of two kinds--darshanmohaniya (perception/faith deluding karma) and charitra-mohaniya h (conduct deluding karma).
द्वितीय स्थान
(163)
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424. Jnanavaraniya karma (knowledge obscuring karma) is of two kinds—desh Jnanavaraniya (Mati, Shrut, Avadhi and Manahparyav 5 jnana obscuring karma) and sarva Jnanavaraniya (Keval-jnana obscuring karma).
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425. Same is true for Darshanavaraniya karma (perception/faith 5 obscuring karma) (i.e. it is also of two kinds).
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