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म ३९०. ग्राम, नगर, निगम, राजधानी, खेट, कर्बट, मडंब, द्रोणमुख, पत्तन, आकर, आश्रम,
संवाह, सन्निवेश, घोष, आराम, उद्यान, वन, वनषण्ड, वापी, पुष्करिणी, सर, सरपंक्ति, अगड, तालाब, - ह्रद, नदी, पृथ्वी, उदधि, वातस्कन्ध, अवकाशान्तर, वलय, विग्रह, द्वीप, समुद्र, वेला, वेदिका, द्वार, , तोरण, नारक और नारकावास तथा वैमानिक तक के सभी दण्डक और उनके आवास, कल्प और
कल्पविमानावास, वर्ष और वर्षधर पर्वत, कूट और कूटागार, विजय और उनकी राजधानी; ये सभी जीव और अजीव कहे जाते हैं।
390. All the following (areas) are called jiva (the living) as well as ajiva (the non-living)-gram, nagar, nigam, rajadhani, khet, karbat, madamb, dronmukh, pattan, aakar, ashram, samvah, sannivesh, ghosh, aaraam, udyan, van, vanakhand, vaapi, pushkarini, sar, sarapankti,
agad, talab, hrad, nadi, prithvi, udadhi, vaatskandh, avakashantar, fi valaya, vigraha, dveep, samudra, vela, vedika, dvar, toran, narak, narak
vaas,... and so on up to... vaimanik (all dandaks or places of suffering) and their abodes, kalp and kalpaviman-vaas, varsh and varshadhar parvat, koot and kootagar, vijayaa and their capitals.
विवेचन-ग्राम, नगरादि में रहने वाले जीवों की अपेक्षा उनको जीव कहा गया है और ये ग्राम, नगरादि मिट्टी, पाषाणादि अचेतन पदार्थों से बनाये जाते हैं, अतः उन्हें अजीव भी कहा गया है। संस्कृत टीका अनुसार ग्राम आदि शब्दों का अर्थ इस प्रकार है
ग्राम-किसानों आदि की बस्ती। नगर-जहाँ 'कर' नहीं लगते हों। निगम-व्यापार का प्रमुख केन्द्र A स्थान। खेड़ा-कच्चे परकोटे से घिरी बस्ती। कुनगर-ऐसी जीर्ण-शीर्ण पुरानी बस्ती जहाँ विद्याध्ययन व । वैद्य आदि की सुविधाएँ सुलभ न हों अथवा कव्वड पर्वत के ढलान पर बसी बस्ती।
___ मडंब-जिसके चारों ओर दूर-दूर तक कोई ग्राम एवं नगर आदि न हो। द्रोणमुख-जहाँ जल एवं । स्थल दोनों से जाने-आने का मार्ग का हो। पट्टण (पत्तन)-जल पत्तन-जल का मध्यवर्ती द्वीप। स्थल । पत्तन-निर्जल भूभाग में स्थित व्यापार केन्द्र। आकर-खानों वाले नगर एवं खनिज पदार्थों के # व्यापारिक केन्द्र।
आश्रम-तीर्थ-स्थान: ऋषि-मनियों का आवास। संवाह-पर्वतों पर बसे ऐसे स्थान जहाँ पर लोग 卐 # स्वास्थ्य-संवर्धन एवं भ्रमण के लिए जाया करते थे। सनिवेश-व्यापारियों के सार्थवाहों (काफिले) के # समूह को ठहरने का स्थान। घोष-घोषी या ग्वालों की बस्ती। आराम-वृक्षों, लताओं, लता-मण्डपों, । कुंजों एवं सरोवरों आदि से युक्त भ्रमण-स्थल। उद्यान-ऐसे कृत्रिम स्थल जहाँ फूलों और फलों के पौधे
एवं वृक्ष लगे हों। वन-जिस प्राकृतिक स्थान में एक ही प्रकार के वृक्षों की प्रधानता हो। वनखण्ड-- । विभिन्न प्रकार के वृक्षों एवं लताओं आदि से सम्पन्न प्राकृतिक स्थल। ___ वापी-चारों ओर से जल के पास तक पहुँचने के चार कोण वाला निर्मित जलाशय। पुष्करणीकमलों एवं कमदों से परिपूर्ण विशाल जलाशय। सर-ऐसे गहरे जलाशय जिनमें वर्षा जल और स्रोत-जल - दोनों एकत्रित होते हों। सर-सर-पंक्ति-अनेक छोटे-बड़े जलाशयों की श्रेणी। अगड-छोटे-बड़े कूप। '
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मामामामामामागचा
द्वितीय स्थान
(149)
Second Sthaan
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