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Adada, Avavanga and Avava, Huhukanga and Huhuka, Utpalanga and Utpala, Padmanga and Padma, Nalinanga and Nalina, Arthanikuranga and Arthanikura, Ayutanga and Ayut, Nayutanga and Nayuta, Prayutanga and Prayuta, Chulikanga and Chulika, Sheershaprahelikanga and Sagaropam, Avasarpini and Utsarpini.
Sheershaprahelika,
Palyopam
and
विवेचन - यद्यपि काल एक स्वतन्त्र द्रव्य है, तथापि वह चेतन जीवों के पर्याय परिवर्तन में सहकारी
है, इस कारण उसे यहाँ पर जीव कहा गया है। इसी प्रकार काल पुद्गलादि द्रव्यों के परिवर्तन में सहकारी होने से अजीव कहा गया है। काल का सबसे सूक्ष्म अभेद्य और अवयवरहित अंश 'समय' है। असंख्यात समयों की 'आवलिका' है और संख्यात आवलिका प्रमाण काल 'आन-प्राण' होता है। नीरोग, स्वस्थ व्यक्ति को एक बार श्वास लेने और छोड़ने (निश्वास) में जो काल लगता है उसे आन-प्राण 5 कहते हैं। [समय से सागरोपम तक का विस्तृत वर्णन अनुयोगद्वार, भाग १, सूत्र २०२, पृष्ठ २९०२९२ पर देखना चाहिए । ]
Elaboration-Although kaal (time) is an independant entity it has been included here in the classification of jiva or 'the being' because it is associated with the modal transformation of sentient beings. In the same way it has also been included in the classification of ajiva or 'the nonbeing' because it is also associated with the modal transformation of nonbeings or matter. The smallest indivisible fraction of time is Samaya. Innumerable Samayas make one Avalika and innumerable Avalikas make one Aan-pran or one inhalation-exhalation or a breath. The time taken by a healthy person in one inhalation and exhalation is called Aan-pran. [For detailed description of all these units from Samaya to Sagaropam refer to Illustrated Anuyogadvar Sutra, Part I, aphorism 202, PP. 290-292.]
स्थानांगसूत्र (१)
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३९०. गामाति वा णगराति वा णिगमाति वा रायहाणीति वा खेडाति वा कब्बडाति वा मडंबाति वा दोणमुहाति वा पट्टणाति वा आगराति वा आसमाति वा संबाहाति वा सण्णिवेसाइ वा घोसाइ वा आरामाइ वा उज्जाणाति वा वणाति वा वणसंडाति वा वावीति वा पुक्खरणीति वा सरा वा सरपंतीति वा अगडाति वा तलागाति वा दहाति वा णदीति वा पुढवीति वा उदहीति वा वातखंधाति वा उवासंतराति वा वलयाति वा विग्गहाति वा दीवाति वा समुद्दाति वा वेलाति वा 5 वेइयाति वा दाराति वा तोरणाति वा णेरइयाति वा णेरइयावासाति वा जाव वेमाणियाति वा वेमाणियावासाति वा कप्पाति वा कप्पविमाणावासाति वा वासाति वा वासधरपव्वताति वा कूडाति वा कूडागाराति वा विजयाति वा रायहाणीति वा - जीवाति वा अजीवाति या पवुच्चति ।
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Sthaananga Sutra (1)
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