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ज आचार-पद (पाँच आचार) ACHAR-PAD (SEGMENT OF CONDUCT)
२३९. दुविहे आयारे पण्णत्ते, तं जहा-णाणायारे चेव, णोणाणायारे चेव। २४०. णोणाणायारे ॐ दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-दंसणायारे चेब, णोदसणायारे चेव। २४१. णोदसणायारे दुविहे पण्णत्ते,
तं जहा-चरित्तायारे चेव, णोचरितायारे चेव। २४२. णोचरित्तायारे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-तवायारे चेय, बीरियायारे चेव।
२३९. आचार दो प्रकार का है-ज्ञानाचार और नोज्ञानाचार (दर्शनाचार) २४०. नोज्ञानाचार दो के प्रकार का है-दर्शनाचार और नोदर्शनाचार (चारित्राचार)। २४१. नोदर्शनाचार दो प्रकार है
चारित्राचार और नोचारित्राचार (तप-आचार)। २४२, नोचारित्राचार दो प्रकार का है-तपःआचार है और वीर्याचार।
239. Achar (conduct) is of two kinds-jnanachar (conduct related to jnana or knowledge and no-jnanachar (conduct other than that related Hto jnana or knowledge). 240. No-jnanachar is of two kindsfi darshanachar (conduct related to darshan or perception/faith) and nofi darshanachar (conduct other than that related to darshan or
perception/faith). 241. No-darshanachar is of two kinds-charitrachar (conduct related to charitra or ascetic-conduct) and no-charitrachar (conduct other than that related to charitra or ascetic-conduct). 242. No
charitrachar is of two kinds-tapah-achar (conduct related to tapah or Fausterities) and viryachar (conduct related to virya or potency). प्रतिमा-पद PRATIMA-PAD (SEGMENT OF SPECIAL CODES)
२४३. दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-समाहिपडिमा चेव, उवहाणपडिमा चेव। २४४. दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-विवेगपडिमा चेव, विउसगापडिमा चेव। २४५. दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-भद्दा चेव, सुभद्दा चेव। २४६. दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-महाभद्दा चेय, सव्वतोभद्दा चेव। २४७. दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-खुड्डिया चेव मोयपडिमा, महल्लिया चेव मोयपडिमा। २४८. दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-जवमज्झा चेव चंदपडिमा, वहरमज्झा चेव चंदपडिमा।
२४३. प्रतिमा दो प्रकार की है-समाधिप्रतिमा और उपधानप्रतिमा। २४४. प्रतिमा दो प्रकार की 1-बिवेकप्रतिमा और व्युत्सर्गप्रतिमा। २४५. प्रतिमा दो प्रकार की है-भद्रा और सुभद्रा। २४६. प्रतिमा
दो प्रकार की है-महाभद्रा और सर्वतोभद्रा। २४७. प्रतिमा दो प्रकार की है-क्षुद्रक-मोक प्रतिमा और महती-मोक प्रतिमा। २४८. प्रतिमा दो प्रकार की है-यवमध्य-चन्द्र प्रतिमा और वज्रमध्य-चन्द्र प्रतिमा।
348. Pratima is of two kinds--samadhi-pratima and upadhanpratima. 244. Pratima is of two kinds-vivek-pratima and vyutsarg.
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| द्वितीय स्थान
(107)
Second Sthaan
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