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नहीं कर सकता एवं अवधिज्ञान भी दूर देश स्थित विषय को ग्रहण नहीं कर रहा हो, वहाँ चेतनायुक्त उत्तर ॐ वैक्रिय शरीर से अथवा आहारक शरीर से जिज्ञासित विषय का ज्ञान किया जा सकता है। $ Elaboration—The aforesaid aphorisms enumerate the intellectual
capacity acquired by a soul through austere spiritual practices, and capcity to see and know the universe. When, for the purpose of acquiring information about matter, area, time and state in some specific direction, an aharak (telemigratory) or vaikriya (transmutable) body is created through aharak labdhi or vaikriya labdhi (special powers to create telemigratory or transmutable bodies) the process is called samudghat. Those who are at the higher levels of knowledge perceive and understand even without undergoing the process of samudghat. Information of an area inaccessible to the original gross body is acquired with the help of the said intellectually sensitive transmutable or telemigratory bodies. देशतः-सर्वतः-श्रवणादि-पद DESHATAH-SARVATAH-SHRAVANADI-PAD
(SEGMENT OF PARTIAL AND COMPLETE LISTENING ETC.) २०१. दोहिं ठाणेहिं आया सद्दाइं सुणेति, तं जहा-देसेण वि आया सदाइं सुणेति, सव्वेण वि + आया सद्दाइं सुणेति। २०२. दोहिं ठाणेहिं आया रूवाइं पासइ, तं जहा-देसेण वि आया रूवाई में पासइ, सव्वेण वि आया रूवाइं पासइ। २०३. दोहिं ठाणेहिं आया गंधाइं अग्घाति, तं जहा-देसेण कवि आया गंधाई अग्घाति, सव्वेण वि आया गंधाई अग्घाति। २०४. दोहिं ठाणेहिं आया रसाई ॐ आसादेति, तं जहा-देसेणं वि आया रसाइं आसादेति, सब्वेण वि आया रसाइं आसादेति।
२०५. दोहिं ठाणेहिं आया फासाइं पडिसंवेदेति, तं जहा-देसेण वि आया फासाइं पडिसंवेदेति, # सव्वेण वि आया फासाइं पडिसंवेदेति।
२०१. दो प्रकार से आत्मा शब्दों को सुनता है-शरीर के एक भाग (एक कान) से भी आत्मा शब्दों 卐 को सुनता है और समूचे शरीर से भी आत्मा शब्दों को सुनता है। २०२. दो प्रकार से आत्मा रूपों को है
देखता है-शरीर के एक भाग (नेत्र) से और समूचे शरीर से भी। २०३. दो प्रकार से आत्मा गन्धों को 5 ॐ सूंघता है-शरीर के एक भाग (नासिका) से भी और समूचे शरीर से भी। २०४. दो प्रकार से आत्मा ।
रसों का आस्वाद लेता है-शरीर के एक भाग (रसना) से भी और सम्पूर्ण शरीर से भी। २०५. दो के प्रकार से आत्मा स्पर्शों का प्रतिसंवेदन (अनुभव) करता है-शरीर के एक भाग से भी और सम्पूर्ण
शरीर से भी। ___201. A soul listens sounds two ways-through a specific part of the body (ear) and also through the whole body. 202. A soul sees forms two ways-through a specific part of the body (eye) and also through the whole
听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。
स्थानांगसूत्र (१)
(96)
Sthaananga Sutra (1) |
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