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अवधिज्ञान से तिर्यक्लोक को जानता-देखता है। (३) अधोवधिज्ञानी वैक्रिय आदि समुद्घात करके या । बिना किये भी अवधिज्ञान से तिर्यक्लोक को जानता-देखता है।
194. A soul knows and sees Tiryak lok (middle world) two waysi (1) A soul knows and sees middle world through avadhi-jnana by i undergoing the process of Samudghat including Vaikriya Samudghat.
(2) A soul knows and sees middle world through avadhi-jnana even without undergoing the process of Samudghat including Vaikriya Samudghat. (3) Adho-avadhi-jnani knows and sees middle world through avadhi-jnana with or without undergoing the process of Samudghat including Vaikriya Samudghat.
१९५. दोहिं ठाणेहिं आया उड्डलोग जाणइ पासइ, तं जहा-(१) समोहएणं चेव अप्पाणेणं आया उड्डलोगं जाणइ पासइ, (२) असमोहएणं चेव अप्पाणेणं आया उड्डलोगं जाणइ पासइ, (३) आहोहि समोहयासमोहएणं चेव अप्पाणेणं आया उड्डलोगं जाणइ पासइ।
१९५. दो प्रकार से आत्मा ऊर्ध्वलोक को जानता-देखता है-(१) वैक्रिय आदि समुद्घात करके अवधिज्ञान से ऊर्ध्वलोक को जानता-देखता है। (२) वैक्रिय आदि समुद्घात न करके भी आत्मा ॐ अवधिज्ञान से ऊर्ध्वलोक को जानता-देखता है। (३) अधोवधिज्ञानी वैक्रिय आदि समुद्घात करके या किये बिना भी दोनों प्रकार से ऊर्ध्वलोक को जानता देखता है।
195. A soul knows and sees Urdhva lok (upper world) two ways, (1) A soul knows and sees upper world through avadhi-jnana by undergoing the process of Samudghat including Vaikriya Samudghat. (2) A soul knows and sees upper world through avadhi-jnana even without undergoing the process of Samudghat including Vaikriya Samudghat. (3) Adho-avadhi-jnani knows and sees upper world through avadhi-jnana with or without undergoing the process of Samudghat including Vaikriya Samudghat.
१९६. दोहिं ठाणेहिं आया केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ, तं जहा-(१) समोहएणं चेव ॥ अप्पाणेणं आया केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ, (२) असमोहएणं चेव अप्पाणेणं आया केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ। (३) आहोहि समोहयासमोहएणं चेव अप्पाणेणं आया केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ।
१९६. दो प्रकार से आत्मा सम्पूर्ण लोक को जानता-देखता है-(१) वैक्रिय आदि समुद्घात करके तथा (२) वैक्रिय आदि समुद्घात न करके भी आत्मा अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को जानता-देखता है। (३) अधोवधिज्ञानी वैक्रिय आदि समुद्घात करके या किये बिना भी अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को जानता-देखता है।
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द्वितीय स्थान
(93)
Second Sthaan
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