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विवेचन-तेजस्कायिक, वायुकाय तथा सातवीं नरक से निकला हुआ जीव सीधा मनुष्य गति में नहीं जाता। तथा असंख्यात वर्ष आयुष्य वाले मनुष्य एवं तिर्यंच भी मनुष्य गति में नहीं आते।
Elaboration-It should be noted that a being leaving the genus of fire-bodied, air-bodied and infernal beings from seventh hell does not directly reincarnate as a human being. Also human beings and animals with a life span of innumerable years do not directly reincarnate as human beings. दण्डक-मार्गणा-पद DANDAK-MARGANA-PAD (SEGMENT OF SUB-CLASSES IN DANDAKS)
१७७. (१) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-भवसिद्धिया चेव, अभवसिद्धिया चेव जाव वेमाणिया। १७८. (२) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-अणंतरोववण्णगा चेव, परंपरोववण्णगा चेव जाव वेमाणिया। १७९. (३) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-गतिसमावण्णगा चेव, अगतिसमावण्णगा चेव, अपढमसमखओववण्णगा चेव जाव वेमाणिया। १८०. (४) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-पढमसमओववण्णगा चेव, अपढमसमओवदण्णगा चेव जाव वेमाणिया। १८१. (५) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-आहारगा चेव, अणाहारगा चेव। एवं जाव वेमाणिया। १८२. (६) दुविहा णेरइया पण्णता, तं जहा-उस्सासगा चेव, णो उस्सासगा चेव जाव वेमाणिया। १८३. (७) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-सइंदिया चेव, अणिंदिया चेव जाव वेमाणिया। १८४. (८) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा चेव, अपज्जत्तगा चेव जाव वेमाणिया। १८५. (९) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-सण्णी चेव, असण्णी चेव। एवं पंचेंदिया सचे विगलिंदियवज्जा जाव वाणमंतरा। १८६. (१०) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-भासगा चेव, अभासगा चेव। एवमेगिंदियवज्जा सम्बे। १८७. (११) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहासम्मद्दिट्ठिया चेव, मिच्छद्दिट्ठिया चेव। एगिदियवज्जा सके। १८८. (१२) दुविहा पेरइया पण्णत्ता, तं जहा-परित्तसंसारिया चेव, अणंतसंसारिया चेव। जाव वेमाणिया। १८९. (१३) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-संखेज्जकालसमयट्ठितिया चेव, असंखेज्जकालसमयट्ठितिया चेव। एवं-पत्रंदिया एगिदियविगलिंदियवज्जा जाव वाणमंतरा। १९०. (१४) दुविहा रइया पण्णत्ता, तं जहासुलभबोधिया चेव, दुलभबोधिया चेव जाव वेमाणिया। १९१. (१५) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-कण्हपक्खिया चेव, सुक्कपक्खिया चेव जाव वेमाणिया। १९२. (१६) दुविहा णेरइया पण्णत्ता, तं जहा-चरिमा चेव, अचरिमा चेव जाव वेमाणिया।
१७७. (१) नैरयिक से लेकर वैमानिक देवों पर्यन्त सभी दण्डकों में दो-दो तरह के जीव पाये जाते हैं-भवसिद्धिक-भव्य और अभवसिद्धिक-अभव्य। १७८. (२) अनन्तरोत्पन्न-(प्रति समय
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स्थानांगसूत्र (१)
(88)
Sthaananga Sutra (1) | बफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफब
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