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855 ) ))) )))))))))))))))))) में समा (कालचक्र)-पद SAMA-PAD (SEGMENT OF TIME CYCLE)
७४. दो समाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-ओसप्पिणी समा चेव, उस्सप्पिणी समा चेव। 卐 ७४. समा (काल मर्यादा) दो प्रकार की होती है-अवसर्पिणी समा (अवसर्पिणी काल का समय)
और उत्सर्पिणी समा (उत्सर्पिणी काल का समय)। 4i 74. Sama (time cycle) is of two kinds—avasarpini-sama (the period of + regressive half-cycle of time) and utsarpini-sama (the period of % progressive half-cycle of time).
विवेचन-अवसर्पिणी समा-इसमें वस्तुओं के रूप, रस, गन्ध आदि का एवं जीवों की आयु, बल, - बुद्धि आदि का क्रम से ह्रास होता है। उत्सर्पिणी समा-इसमें वस्तुओं के रूप, रस, गन्ध आदि का एवं 卐 जीवों की आयु, बल, बुद्धि, सुख आदि का क्रम से विकास होता है। (प्रत्येक समय में छह-छह आरे
होते हैं। १२ आरों का एक कालचक्र बीस कोटा-कोटि सागरोपम का होता है। देखें-संलग्न चित्र) 4. Elaboration-Avasarpini-sama-During the regressive half-cycle
there is a gradual decline in strength, wisdom, size of the body, life-span and other qualities of living beings including humans. Utsarpini-samaDuring the progressive half-cycle there is gradual improvement in the
said qualities of living beings and matter. Like the spokes in the wheel of i a chariot there are six divisions of each of these half-cycles popularly known as aras (spokes). One complete cycle of time is twenty Kota-koti Sagaropam (a metaphoric unit of time) long. (see illustration) उन्माद-पद UNMAAD-PAD (SEGMENT OF MADNESS)
७५. दुविहे उम्माए पण्णत्ते, तं जहा-जक्खाएसे नेव, मोहणिज्जस्स चेव कम्मस्स उदएणं। तत्थ णं जे से जक्खाएसे, से णं सुहवेयतराए चेव, सुहविमोयतराए चेव। तत्थ णं जे से मोहणिज्जस्स
कम्मस्स उदएणं, से णं दुहवेयतराए चेव, दुहविमोयतराए चेव। 卐 ७५. उन्माद अर्थात् बुद्धिभ्रम या बुद्धि की विपरीतता दो कारणों से होती है-यक्षावेश से (यक्ष के
शरीर में प्रविष्ट होने से) और मोहनीयकर्म के उदय से। जो यक्षावेश-जनित उन्माद है, वह ॥ मोहनीयकर्म-जनित उन्माद की अपेक्षा सुख (सरलता) से भोगा जाने वाला और सुख (सरलता) से छूट + सकने वाला होता है। किन्तु जो मोहनीयकर्म-जनित उन्माद है, वह यक्षावेश-जनित उन्माद की अपेक्षा ॐ दुःख (कठिनाई) से भोगा जाने वाला और दुःख से छूटने वाला होता है।
75. Unmaad (madness or delusion or perversion) is for two reasons5 yakshavesh (under the influence of evil spirit) and fruition of mohaniya
karma (deluding karma). Madness caused by evil spirit is easier to suffer 41 and get rid of as compared to that caused by mohaniya karma. But the
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| द्वितीय स्थान
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Second Sthaan
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