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२६. क्रिया दो प्रकार की है-स्वहस्तिकी क्रिया (अपने हाथ से होने वाली हिंसारूप क्रिया) और नैसृष्टिकी क्रिया (किसी वस्तु के रखने/फेंकने से होने वाली हिंसात्मक क्रिया अथवा दूसरों के द्वारा ॐ कराई जाने वाली क्रिया)। २७. स्वहस्तिकी क्रिया दो प्रकार की है-जीव-स्वहस्तिकी क्रिया (अपने फ़ के हाथों से किसी जीव को मारने की क्रिया) और अजीव-स्वहस्तिकी क्रिया (अपने हाथ से निर्जीव +
शस्त्रादि के द्वारा किसी जीव को मारने की क्रिया)। २८. नैसृष्टिकी क्रिया दो प्रकार की है-जीवॐ नैसृष्टिकी क्रिया (जीवों को रखने/फेंकने से होने वाली क्रिया) और अजीव-नैसृष्टिकी क्रिया (अजीव को, पत्थर, धनुष वाण आदि फेंकने से होने वाली क्रिया)।
23. Kriya is of two kinds-praatityiki kriya (passionate indulgence inspired by an external thing or contact with it) and samantopanipatiki kriya (passionate indulgence inspired by the praise of one's own possession by others). 24. Praatityiki kriya is of two kinds-jiva-praatityiki kriya (passionate indulgence inspired by an external living thing or contact with it) and ajiva-praatityiki kriya (passionate indulgence inspired by an external non-living thing or contact with it). 25. Samantopanipatiki kriya 4 is of two kinds-jiva-samantopanipatiki kriya (passionate indulgence inspired by the praise of one's own living possession by others) and ajivasamantopanipatiki kriya (passionate indulgence inspired by the praise by one's own non-living possession others of).
26. Kriya is of two kinds-svahastiki kriya (violent activity performed by self) and naishrishtiki kriya (violent activity involved in placing or throwing a thing; also violent activity performed through others). 27. Svahastiki kriya is of two kinds—jiva-svahastiki kriya (harming or 5 killing a living being with one's own hands) and ajiva-svahastiki kriya (harming or killing a living being with one's own hands using an instrument or weapon that is non-living). 28. Naishrishtiki kriya is of two kinds-jiva-naishrishtiki kriya (violent activity involved in placing or throwing a thing) and ajiva-naishrishtiki kriya (violent activity involved in placing or throwing a non-living thing like stone, arrow etc.). 55
२९. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-आणवणिया चेव, वेयारणिया चेव। ३०. आणवणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-जीवआणवणिया चेव, अजीवआणवणिया चेव।
३१. वेयारणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-जीववेयारणिया चेव, अजीववेयारणिया चेव।। 卐 २९. क्रिया दो प्रकार की है-आज्ञापनी क्रिया (सावध कार्य की आज्ञा देने से होने वाली क्रिया) के
और वैदारिणी क्रिया (किसी वस्तु के विदारण छेदन-भेदन से होने वाली क्रिया)। ३०. आज्ञापनी क्रिया - ॐ दो प्रकार की है-जीव-आज्ञापनी क्रिया (जीव के विषय में आज्ञा देना) और अजीव-आज्ञापनी ॥ 卐 क्रिया (अजीव के विषय में आज्ञा देने, अथवा हिंसाजनक वस्तु मँगवाने से होने वाली क्रिया)। स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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