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फ्र [Ans.] Gautam ! As a rule he is touched by malice against a sage (rishi-vair) and malice against non-sage (norishi-vair ).
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८. [.] पुरिसे णं भंते ! इसिं हणमाणे किं इसिवेरेणं पुट्ठे, गोइसिवेरेणं पुट्ठे ?
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[ उ. ] गोयमा ! नियमा ताव इसिवेरेणं पुट्ठे १, अहवा इसिवेरेण य णोइसिवेरेण य पुट्टे २, अहवा इसिवेरेण य नोइसिवेरेहि य पुट्ठे ३ ।
८. [ प्र. ] भगवन् ! ऋषि को मारता हुआ कोई पुरुष, क्या ऋषि - वैर से स्पृष्ट होता है, या नोॠषि-वैर से स्पृष्ट होता है ?
[ उ. ] गौतम ! वह (ऋषिघातक) नियम से ऋषि-वैर और नोॠषि-वैरों से स्पृष्ट होता है।
8. [Q.] Bhante ! While a person is killing a sage (rishi) is he touched 5 by malice against sage (rishi-vair) or by malice against non-sage (norishi-vair, malice against living beings other than a sage ) also ?
अश्व आदि के सम्बन्ध में भी सर्वत्र ये ही तीन भंग होते हैं । (ख) सोपक्रम आयु वाले ऋषि का कोई वध करे तो
वह प्रथम और तृतीय भंग का अधिकारी बनता है । यथा - वह ऋषि - वैर से तो स्पृष्ट होता ही है, किन्तु जब सोपक्रम आयु वाले अचरम-शरीरी ऋषि का पुरुष का वध होता है तब उसकी अपेक्षा से यह तीसरा भंग कहा गया है ।
विवेचन : घातक व्यक्ति के लिए वैरस्पर्श प्ररूपणा - (क) पुरुष को मारने वाले व्यक्ति के लिए वैरस्पर्श के तीन
भंग होते हैं (१) वह नियम से पुरुष- वैर से स्पृष्ट होता है, (२) पुरुष को मारते हुए किसी दूसरे प्राणी का वध फ करे तो एक पुरुष - वैर से और एक नोपुरुष- वैर से स्पृष्ट होता है, (३) यदि एक पुरुष का वध करता हुआ,
अन्य अनेक प्राणियों का वध करे तो वह पुरुष - वैर से और अन्य अनेक नोपुरुष-वैरों से स्पृष्ट होता है । हस्ती,
| नवम शतक : चौतीसवाँ उद्देशक
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Elaboration-Feeling of malice in a killer-(a) There are three alternatives of touch by malice for a person killing a man - (1) As a rule 卐 he is touched by malice against man (purush-vair). (2) If while killing a man he also kills another living being he is touched by malice against man (purush-vair) and malice against non-man (nopurush-vair). If while killing a man he also kills many other living beings he is touched by
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malice against man (purush-vair) and malice against numerous non-man 卐 (nopurush-vairs, malice against many living beings other than man).
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These three alternatives also apply to elephant, horse etc. (b) If someone kills a sage with terminable life-span (sopakram ayushya) then he is liable to the first and third alternative related to touch of malice. Which
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means that, besides being touched by malice for the sage he has killed, 卐 he is also touched by malice for a sage who is not in his last incarnation फ्र before liberation (acharama shariri) and who may kill many beings on reincarnation.
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Ninth Shatak: Thirty Fourth Lesson
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