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Arihant Bhagavan (the Omniscient Lord) is highly meritorious! What to i say of the benefits of listening to his complete sermon when hearing even
a single pious word uttered by him is a great achievement! Therefore, O beloved of gods! It would be good for us to go there and pay homage to Shraman Bhagavan Mahavir. ... and so on up to... Let us go there to worship him and sit near him. This act of obeisance will prove to be beneficial, blissful, peace giving, and means of salvation for us in this, next and following births.”
६. तए णं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ट जाव हियया करयल जाव । कटु उसभदत्तस्स माहणस्स एयमटुं विणएणं पडिसुणेइ।
६. तत्पश्चात् ऋषभदत्त ब्राह्मण से इस प्रकार का कथन सुनकर देवानन्दा ब्राह्मणी हृदय में अत्यन्त । हर्षित यावत् उल्लसित हुई और उसने दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर अंजलि करके ऋषभदत्त ब्राह्मण
के कथन को विनयपूर्वक स्वीकार किया। i 6. Hearing this from Brahman Rishabh-datt, Brahmani Devananda was very happy ... and so on up to... filled with joy. She raised her joined palms to her forehead and humbly accepted his suggestion. ब्राह्मण-दम्पति की दर्शनवन्दनार्थ जाने की तैयारी PREPARATIONS TO GO TO PAY HOMAGE
७. तए णं से उसभदत्ते माहणे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्त-जोइय-समखुर-वालिधाण-समलिहियसिंगएहिं # जंबूणयामयकलावजुत्तपइविसिट्ठएहिं रययामयघंटसुत्तरज्जुयवरकंचणनत्थपग्गहोग्गहियएहिं नीलुप्पल *
कयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणिरयण घंटियाजालपरिगयं सुजायजुगजोत्तरज्जुयजुगपसत्थ सविरचितनिम्मियं पवरलक्खणोववेयं धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह, उवट्ठवित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह।
७. तत्पश्चात् उस ऋषभदत्त ब्राह्मण ने अपने कौटुम्बिक पुरुषों (सेवकों) को बुलाया और इस प्रकार कहा-देवानुप्रियो ! शीघ्र चलने वाले, प्रशस्त, सदृशरूप वाले, समान खुर और पूंछ वाले, एक
समान सींग वाले, स्वर्ण-निर्मित कलापों (आभूषणों) से युक्त, उत्तम गति (चाल) वाले, चाँदी की घंटियों । से युक्त, स्वर्णमय नाथ (नासारज्जु) द्वारा बाँधे हुए, नील कमल की कलंगी वाले दो उत्तम युवा बैलों से
युक्त, अनेक प्रकार की मणिमय घंटियों के समूह से व्याप्त, उत्तम काष्ठमय जुए (धूसर) और जोत की # उत्तम दो डोरियों से युक्त, श्रेष्ठ लक्षणों से युक्त, धार्मिक श्रेष्ठ यान (रथ) शीघ्र तैयार करके यहाँ उपस्थित 5 करो और इस आज्ञा को वापस करो अर्थात् इस आज्ञा का पालन करके मुझे सूचना करो।
7. Then Brahman Rishabh-datt called his attendants (kautumbik fi purush) and said — "Beloved of gods! Prepare and bring soon the best fi religious carriage of superlative attributes, which is embellished with
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नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक
(435)
Ninth Shatak: Thirty Third Lesson
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