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[Ans.] Gautam ! Vibhang-jnana (pervert knowledge) is of many 4 types-based on village (when acquired in relation to a village it takes
that form), based on city... and so on up to... based on inhabited areas, based on island (or continent), based on sea, based on areas (like Bharat
area), based on Varshadhar (like a mountain marking the border of an 4 area), based on mountain, based on tree, based on mound, based on 4 horse, based on elephant, based on human, based on Kinnar, based on 4 Kimpurush, based on Mahorag, based on Gandharva, based on bull, 5 based on animal, based on hoofed animal, based on bird, and based on
monkey. Thus Vibhang-jnana (pervert knowledge) is said to be based on numerous forms. (For detailed information about five jnanas and three
ajnanas refer to Illustrated Nandi Sutra, p. 79) +जीवों में ज्ञान-अज्ञान KNOWLEDGE IN LNING BEINGS ॐ २६. [प्र. ] जीवा णं भंते ! किं नाणी, अन्नाणी ? + [उ. ] गोयमा ! जीवा नाणी वि, अनाणी वि। जे नाणी ते अत्थेगइया दुन्नाणी, अत्थेगइया तित्राणी, 卐 अत्थेगइया चउनाणी, अत्थेगइया एगनाणी।
जे दुनाणी ते आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य। जे तित्राणी ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी, + ओहिनाणी, अहवा आभिणिबोहियणाणी, सुयणाणी, मणपज्जवनाणी। जे चउणाणी ते आभिणिबोहियणाणी, सुयणाणी, ओहिणाणी, मणपज्जवणाणी।
जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी।
जे अण्णाणी ते अत्यंगइया दुअण्णाणी, अत्थेगइया तिअण्णाणी। जे दुअण्णाणी ते मइअण्णाणी य + सुयअण्णाणी य। जे तिअण्णाणी ते मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभंगनाणी। ॐ २६. [प्र. ] भगवन् ! जीव ज्ञानी है या अज्ञानी है ?
[उ. ] गौतम ! जीव ज्ञानी भी है और अज्ञानी भी है। जो जीव ज्ञानी हैं, उनमें से कुछ जीव दो ज्ञान ॐ वाले हैं, कुछ जीव तीन ज्ञान वाले हैं, कुछ जीव चार ज्ञान वाले हैं और कुछ जीव एक ज्ञान वाले हैं। म जो दो ज्ञान वाले हैं, वे मतिज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं। जो तीन ज्ञान वाले हैं, वे
आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी हैं, अथवा आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और मनः ॐ पर्यवज्ञानी होते हैं। जो चार ज्ञान वाले हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी और मनः ॥ + पर्यवज्ञानी हैं।
जो एक ज्ञान वाले हैं, वे नियमतः केवलज्ञानी हैं।
जो जीव अज्ञानी हैं, उनमें से कुछ जीव दो अज्ञान वाले हैं, कुछ तीन अज्ञान वाले होते हैं। जो जीव दो अज्ञान वाले हैं, वे मति-अज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी हैं; जो जीव तीन अज्ञान वाले हैं, वे " के मति-अज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी और विभंगज्ञानी हैं।
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| भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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