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நிகழக்கமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிழி
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३ ३ . [ प्र. ] भगवन् ! उत्कृष्ट तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक के विषय में पृच्छा।
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[ उ. ] गांगेय ! ये सभी एकेन्द्रियों में होते हैं। अथवा एकेन्द्रिय और द्वीन्द्रियों में होते हैं। जिस
प्रकार नैरयिक जीवों में संचार किया गया है, उसी प्रकार तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक के विषय में भी संचार करना चाहिए । एकेन्द्रिय जीवों को न छोड़ते हुए द्विकसंयोगी, त्रिकसंयोगी, चतुःसंयोगी और पंचसंयोगी भंग उपयोगपूर्वक कहने चाहिए; यावत् अथवा एकेन्द्रिय जीवों में, द्वीन्द्रियों में, यावत् पंचेन्द्रियों में होते हैं ।
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33. [Q.] Bhante ! Now the same question about entrance of maximum 5 number (utkrisht) of animals ?
stated
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[a] Gangeya ! Either all maximum ( utkrisht) number of jivas get 5 born among one-sensed beings. Or among one-sensed and two-sensed 5 beings. As has been stated with regard to entrance among infernal beings, the same should be repeated for the entrance among animals. and so on up to ... entrance for innumerable animals (asankhyat tiryanch- 5 yonik praveshanak). Essentially including one-sensed beings, alternative combinations of sets of two, three, four and five should be carefully and so on up to... Or among one-sensed beings, two-sensed
5
beings ... and so on up to... five-sensed beings.
एकेन्द्रियादि तिर्यञ्च - प्रवेशनकों का अल्पबहुत्व COMPARATIVE NUMBERS OF ANIMALS
३४. [ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक से लेकर यावत् 5 पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक तक में से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ?
३४. [प्र. ] एयस्स णं भंते ! एगिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणगस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणयस्स य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा ? विसेसाहिए वा ? [उ.] गंगेया ! सव्वत्थोवे पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए, चाउरिदियतिरिक्खजोणियप० विसेसाहिए, तेइंदिय० विसेसाहिए, बेइंदिय० विसेसाहिए, एगिंदियतिरिक्ख० विसेसाहिए।
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[उ.] गांगेय ! सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक हैं, उनसे चतुरिन्द्रिय-5 तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक विशेषाधिक हैं, उनसे त्रीन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक विशेषाधिक हैं, उनसे द्वीन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक- प्रवेशनक विशेषाधिक हैं और उनसे एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकप्रवेशनक विशेषाधिक हैं।
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29. [Q.] Bhante! Of the (aforesaid) entries among one-sensed beings (Ekendriya Tiryanch-yonik-praveshanak) ... and so on up to... five-sensed beings (Panchendriya Tiryanch-yonik-praveshanak), which of the entries are comparatively less, more, equal and much more?
भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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