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[Ans.] Gangeya ! Earth-bodied beings (prithvikaayik jivas) do not die
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5 with interruption (saantar) but die continually (nirantar).
[2] The same is true for death of living beings up to plant-bodied beings (vanaspatikaayik jivas). They do not die with interruption (saantar) but die continually (nirantar).
१०. [प्र.] संतरं भंते! बेइंदिया उव्वट्टंति, निरंतरं बेइंदिया उव्वट्टंति ?
[उ. ] गंगेया ! संतरं पि बेइंदिया उव्वट्टंति, निरंतरं पि बेइंदिया उव्वट्टेति ।
१०. [ प्र. ] भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्तन (मरण) सान्तर होता है या निरन्तर ?
[उ.] गांगेय ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्तन सान्तर भी होता है और निरन्तर भी ।
10. [Q.] Bhante ! Do two-sensed beings (dvindriya jivas) die with interruption (saantar) or do they die continually (nirantar ) ?
[Ans.] Gangeya! Two-sensed beings (dvindriya jivas) die with interruption (saantar) as well as continually (nirantar).
११. एवं जाव वाणमंतरा ।
११. इसी प्रकार यावत् वाणव्यन्तर तक जानना चाहिए ।
11. The same is true for all beings up to Vanavyantar devs (interstitial gods).
१२. [ प्र. ] संतरं भंते! जोइसिया चयंति० ? पुच्छा ।
[उ.] गंगेया ! संतरं पि जोइसिया चयंति, निरंतरं पि जोइसिया चयंति।
१२. [ प्र. ] भगवन् ! ज्योतिष्क देवों का च्यवन (मरण) सान्तर होता है या निरन्तर ?
[उ. ] गांगेय ! ज्योतिष्क देवों का च्यवन सान्तर भी होता है और निरन्तर भी ।
12. [Q.] Bhante ! Do Jyotishk devs (stellar gods) die or descend with interruption (saantar) or do they die continually (nirantar) ?
[Ans.] Gangeya ! Jyotishk devs (stellar gods) die or descend with interruption (saantar) as well as continually (nirantar).
१३. एवं जाव वेमाणिया वि।
१३. इसी प्रकार यावत् वैमानिक तक (च्यवन के सम्बन्ध में) जान लेना चाहिए।
13. The same is true for all beings up to Vaimanik devs (celestialvehicular gods).
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विवेचन : जीवों के जन्म या उत्पत्ति को उपपात और मरण को च्यवन या उद्वर्तन कहते हैं । वैमानिक और ज्योतिष्क देवों का मरण 'च्यवन' कहलाता है (ऊपर से नीचे आते हैं) । नारकादि का मरण उद्वर्तन कहलाता है (नीचे से ऊपर आते हैं) ।
भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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