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बत्तीसइमो उद्देसओ : 'गंगेय'
नवम शतक : बत्तीसवाँ उद्देशक :गांगेय NINTH SHATAK (Chapter Ninth) : THIRTY SECOND LESSON : GANGEYA उपोद्घात INTRODUCTION
१. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नामं नयरे होत्था। वण्णओ। दूतिपलासे चेइए। सामी समोसढे। परिसा निग्गया। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया।
१. उस काल, उस समय में वाणिज्यग्राम नामक नगर था। (उसका वर्णन जान लेना चाहिए)। वहाँ द्युतिपलाश नाम का चैत्य (उद्यान) था। (एक बार) वहाँ भगवान महावीर स्वामी (पधारे), (उन) का समवसरण लगा। परिषद् वन्दन के लिये निकली। (भगवान ने) धर्मोपदेश दिया। परिषद् वापस लौट , गई।
1. During that period of time there was a city called Vanijyagram. Description (as in Aupapatik Sutra). Outside the city there was a Chaitya called Dyutipalash. (Once) Bhagavan Mahavir arrived there and the religious assembly started. People came out to pay homage and attend the discourse. People returned.
२. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे गंगेए नामं अणगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी
२. उस काल उस समय में पार्वापत्य (पुरुषादानीय भगवान पार्श्वनाथ के शिष्यानुशिष्य) गांगेय नामक अनगार थे। जहाँ श्रमण भगवान महावीर थे, वहाँ वे आए और श्रमण भगवान महावीर के न अति निकट और न अति दूर खड़े रहकर उन्होंने श्रमण भगवान महावीर से इस प्रकार पूछा
2. During that period of time there was an ascetic in the lineage of Purushadaniya Bhagavan Parshvanaath (Parshvapatya) called Gangeya Anagar. He arrived where Bhagavan Mahavir was seated. Standing neither very near nor very far from Bhagavan Mahavir he submitted thus
विवेचन : वैशाली के निकट गंडवी नदी के दक्षिण तट पर यह वाणिज्यग्राम अपने समय में व्यापार का प्रमुख केन्द्र था। भगवान का परम उपासक आनन्द गाथापति यहाँ का निवासी था। वर्तमान में बसाड़ पट्टी के पास वजिया गाँव है। जिसे प्राचीन समय का वाणिज्य ग्राम माना जाता है।
Elaboration-This Vanijyagram, located at the southern bank of river Gandavi near Vaishali, was a prominent trading center at that time. Anand Gaathapati, Bhagavan Mahavir's devout follower, lived there. Modern Vajiya village, near Basad Patti, is believed to be the Vanijyagram of the past.
नवम शतक : बत्तीसवाँ उद्देशक
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Ninth Shatak : Thirty Second Lesson
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