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ब्रह्मचर्य - वास का धारण- अधारण COURTING CELIBACY
५. [ प्र. १ ] असोच्चा णं भंते! केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा ? [ उ. ] गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगइए केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, अत्थेगइए केवलं बंभचेरवासं नो आवसेज्जा ।
५. [ प्र. १ ] भगवन् ! केवली यावत् केवलि - पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना ही क्या कोई जीव (मैथुन विरमणरूप) शुद्ध ब्रह्मचर्यवास धारण कर पाता है ?
[उ. ] गौतम ! केवली यावत् केवलि - पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना ही कोई जीव शुद्ध ब्रह्मचर्यवास को धारण कर लेता है और कोई नहीं कर पाता ।
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5. [Q. 1] Bhante ! Is it possible for a jiva ( living being) to lead a life of strict celibacy even without hearing (the sermon) from the omniscient 卐 and so on up to... or his (self-enlightened omniscient's) female devotee फ (upaasika ) ?
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[Ans.] Gautam ! It may be possible for some jiva ( living being) and 5 not for some to lead a life of strict celibacy without hearing it from (these ten) the omniscient... and so on up to... or his female devotee (upaasika). फ्र
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५. [ प्र. २ ] से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नो आवसेज्जा ?
[ उ. ] गोयमा ! जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से 5 णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव नो आवसेज्जा, से तेणट्टेणं जाव नो आवसेज्जा ।
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५. [प्र.२ ] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि यावत् कोई जीव धारण नहीं कर पाता ? 5 [ उ. ] गौतम ! जिस जीव ने चारित्रावरणीय वेद नोकषायमोहनीयरूप कर्म का क्षयोपशम किया है, फ्र वह केवल आदि से सुने बिना ही शुद्ध ब्रह्मचर्यवास को धारण कर लेता है, किन्तु जिस जीव ने क चारित्रावरणीय कर्म का क्षयोपशम नहीं किया है, वह जीव यावत् शुद्ध ब्रह्मचर्यवास को धारण नहीं कर पाता । इस कारण से ऐसा कहा जाता है कि यावत् वह धारण नहीं कर पाता ।
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5. [Q. 2] Bhante ! Why is it said that ... and so on up to... It may be possible for some jiva (living being) and not for some to lead a life of strict celibacy?
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[Ans.] Gautam ! A jiva who has accomplished destruction-cum-5 pacification of Chaaritravaraniya karma (conduct obscuring karma; here it specifically indicates the gender producing karma because that is the 卐 deluding factor) may lead a life of strict celibacy even without hearing it 5 from (these ten) the omniscient ... and so on... And a jiva who has not accomplished destruction-cum-pacification of Chaaritravaraniya karma
भगवती सूत्र (३)
(320)
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Bhagavati Sutra (3) फ
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