________________
फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ
फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ
चित्र - परिचय 1
जाति आशीविष-कर्म आशीविष
जाति आशीविष- अमुक जीव जाति में जन्म लेने से दाढ़ में तीव्र विष-सामर्थ्य प्राप्त होना जाति आशीविष कहलाता है। जैसे
Illustration No. 1
1. वृश्चिक - बिच्छु | इसका उत्कृष्ट सामर्थ्य अर्ध भरत क्षेत्र प्रमाण है।
2. मण्डूक- मेंढक इसका उत्कृष्ट विष सामर्थ्य सम्पूर्ण भरत क्षेत्र प्रमाण है।
3. सर्प - इसका उत्कृष्ट सामर्थ्य- जम्बूद्वीप प्रमाण है।
4. मनुष्य इसका उत्कृष्ट सामर्थ्य अढ़ाई द्वीप प्रमाण है।
कर्म आशीविष- तपश्चर्या अथवा विद्या आदि की साधना से अथवा किसी अन्य गुण से पर्याप्त तिर्यंच पंचेन्द्रिय और मनुष्य को आशीविष की उपलब्धि हो जाती है, वे कर्म से आशीविष कहलाते हैं। ये जीव आशीविष लब्धि के प्रभाव से शाप देकर दूसरे का नाश करने की शक्ति पा लेते हैं।
- शतक 8, उ. 2, सूत्र 1 से 4
1. संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय प्राणी, जैसे हाथी, साँप, सिंह आदि को तपश्चर्या आदि किसी गुण के प्रभाव से आशीविष लब्धि प्राप्त होने पर वे कर्म आशीविष होते हैं।
2. मनुष्य गृहस्थ, साधु या परिव्राजक आदि को तप आदि कारणों के प्रभाव से आशीविष लब्धि प्राप्त होने पर उनमें शाप आदि देने की क्षमता आ जाती है।
3. देव-भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क तथा आठवें कल्प तक के वैमानिक देव, पूर्व भव में प्राप्त आशीविष लब्धि के प्रभाव से अपर्याप्त अवस्था तक आशीविष युक्त होते हैं।
JATI ASHIVISH AND KARMA ASHIVISH Jaati-ashivish
some living beings belong to species that are poisonous by birth. They are called Jaati-ashivish. For example
(1 ) Scorpions have a maximum capacity of killing half of Bharat area. (2) Frogs have a maximum capacity of killing the whole of Bharat area.
(3) Snakes - have a maximum capacity of killing half of Jambu continent.
(4) Human beings - have a maximum capacity of killing half of Adhai Dveep (two and a half continents).
- शतक 8. उ. 2, सूत्र 7 से 18
Karma-ashivish-those capable of destroying living beings with special powers, like curses and spells are called Karma-ashivish. For example-
Jain Education International
Shatak 8. Lesson-2. Suutra-1-4
1. Sentient five sensed animals including elephants, snakes, or lions are called karma ashivish if they acquire venomous powers through some austere or other practices.
2. Human beings including householders, ascetics or Parivrajaks acquire venomous powers through austerities and other practices.
3. Divine beings including Bhavan-pati, Vanavyantar, Jyotishk and Vaimaniks up to the eighth heaven retain venomous powers acquired during past birth till they do not attain maturity.
For Private & Personal Use Only
-Shatak 8, Lesson-2. Sutra-7-18
$ 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 955555 95 95 95 95 95 95 95 95 955555555555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 $
फ़फ़फ़फ़फ़फ़फफफफफफफफफफफ़555560
www.jainelibrary.org