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अफ्र
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१०३ . [ प्र. ] नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! पुच्छा० ।
[ उ. ] गोयमा ! महारंभया महापरिग्गहयाए पंचिंदियवहेणं नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नेरइयाउयकम्मासरीर० जाव पयोगबंधे।
१०३ . [ प्र. ] भगवन् ! नैरयिकायुष्य-कार्मणशरीर - प्रयोगबन्ध किस कर्म के उदय से होता है ?
[ उ. ] गौतम ! महारम्भ करने से, महापरिग्रह से, पंचेन्द्रिय जीवों का वध करने से और माँसाहार करने से, तथा नैरयिकायुष्य-कार्मणशरीर- प्रयोग - नामकर्म के उदय से, नैरयिकायुष्य-कार्मणशरीर5 प्रयोगबन्ध होता है ।
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फ्रफ़
103. [Q.] Bhante ! What karma is responsible for Nairayik-ayushyakarman-sharira-prayoga-bandh (bondage related to infernal life-span determining karmic body formation)?
卐 [Ans.] Gautam ! Nairayik-ayushya-karman sharira-prayoga-bandh 5 (bondage related to infernal life-span determining karmic body 卐 formation) is acquired through indulgence in extreme sinful activities, extreme covetousness, killing five sensed living beings and eating meat, as well as through fruition (udaya) of Nairayik-ayushya-karman-sharira5 prayoga-naam-karma (harma responsible for
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卐
infernal
determining karmic body formation).
१०४. [ प्र. ] तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरीरप्पयोग० पुच्छा ।
[ उ. ] गोयमा ! माइल्लयाए निडिल्लया अलियवयणं
तिरिक्खजोणियकम्मासरीर जाव पयोगबंधे।
कुणिमाहारेणं
१०४. [ प्र. ] भगवन् ! तिर्यंचयोनिक आयुष्य-कार्मणशरीर-प्रयोगबन्ध किस कर्म के उदय से
होता है ?
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[उ.] गौतम ! माया करने से, कूट माया (माया को छिपाने हेतु दूसरी गूढ़ माया) करने से, मिथ्या
बोलने से खोटा तोल और खोटा माप करने से, तथा तिर्यंचयोनिक - आयुष्य- कार्मणशरीर-प्रयोग
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नामकर्म के उदय से तिर्यंचयोनिक - आयुष्य - कार्मणशरीर - प्रयोगबन्ध होता है।
फ्र 104. [Q.] Bhante ! What karma is responsible for Tiryanch-yonik
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ayushya-karman-sharira-prayoga-bandh (bondage related to animal lifespan determining karmic body formation)?
life-span
(253)
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कूडतूल-कूडमाणेणं
[Ans.] Gautam ! Tiryanch-yonik-ayushya-karman-sharira-prayogabandh (bondage related to animal life-span determining karmic body formation) is acquired through indulgence in deceit, greater deceit to
hide simple deceit, telling lies, employing wrong weights and measures,
अष्टम शतक नवम उद्देशक
Eighth Shatak: Ninth Lesson
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295 59595555 5 5 55 5 5 595555555955555 5 5 5 5 59555555595959595959552
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