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87. (Q.) Bhante ! In terms of time, how long does Aharak-shariraprayoga-bandh (bondage related to telemigratory body formation) last? 卐 [Ans.] Gautam ! The bondage of the whole (sarva-bandh) lasts for one
Samaya only. The bondage of a part (desh-bandh) lasts for a minimum as well as a maximum of one Antarmuhurt.
८८. [प्र. ] आहारगसरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? [उ. ] गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अणंता लोया; अवडपोग्गलपरियट देसूणं। एवं देसबंधंतरं पि। ।
८८. [प्र. ] भगवन् ! आहारकशरीर-प्रयोगबन्ध का अन्तर कितने काल का होता है ? म [उ. ] गौतम ! इसके सर्वबन्ध का अन्तर जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टतः अनन्तकाल; कालतः । ॐ अनन्त-उत्सर्पिणी-अवसर्पिणीकाल होता है, क्षेत्रतः अनन्तलोक, देशोन (कुछ कम) अपार्ध (अर्द्ध) पुद्गलपरावर्तन होता है। इसी प्रकार देशबन्ध का अन्तर भी जानना चाहिए।
88. [Q.] What is the intervening period between one bondage and the + next in case of the telemigratory body (aharak sharira) ?
[Ans.] Gautam ! This intervening period for the bondage of the whole y (sarva-bandh) is a minimum of one Antarmuhurt and a maximum of 4 infinite time-infinite progressive and regressive cycles of time. It is equivalent to uncountable Ardha-pudgal-paravartan (time taken by a soul to touch half of the matter particles in the Lok) involving infinite Lok (occupied space) in terms of area. The same is true for the bondage
of a part (desh-bandh). म ८९. [प्र. ] एएसिं णं भंते ! जीवाणं आहारगसरीरस्स देसबंधगाणं, सबबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ? ।
[उ. ] गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा आहारगसरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा संखेज्जगुणा, अबंधगा अणंतगुणा।
८९. [प्र. ] भगवन् ! आहारकशरीर के इन देशबन्धक, सर्वबन्धक और अबन्धक जीवों में कौन ऊ किनसे कम, अधिक, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[उ. ] गौतम ! सबसे थोड़े आहारकशरीर के सर्वबन्धक जीव हैं, उनसे देशबन्धक संख्यातगुणे हैं 卐 और उनसे अबन्धक जीव अनन्तगुणे हैं।
89. [Q.] Bhante ! Of these beings with bondage related to telemigratory (Aharak-sharira-bandh) which are comparatively less,
बागगनगागागागगगगगगगग11111119
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भगवती सूत्र (३)
(244)
Bhagavati Sutra (3)
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