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________________ ) )) ) नानासानागा नानानानानानानानानाना 0555555555555555555555)))))) की अपेक्षा से यहाँ वेदरहित एक जीव या अनेक जीवों के द्वारा ऐर्यापथिक कर्मबन्ध सम्बन्धी २६ भंगों को के प्रस्तुत करके प्रश्न किया है। इनमें असंयोगी ६ भंग, द्विकसंयोगी १२ भंग और त्रिकसंयोगी ८ भंग हैं। इस प्रश्न : का उत्तर भी २६ भंगों द्वारा दिया गया है। (४) इसके पश्चात् ऐर्यापथिक कर्मबन्ध के सम्बन्ध में भूत, वर्तमान और भविष्यकाल-सम्बन्धी आठ भंगों के द्वारा प्रश्न किया गया है, जिसका उत्तर 'भवाकर्ष' और 'ग्रहणाकर्ष' की अपेक्षा दिया गया है। अनेक पूर्वभवों में उपशमश्रेणी की प्राप्ति द्वारा ऐर्यापथिक कर्मपुद्गलों का आकर्ष-ग्रहण करना 'भवाकर्ष' है और एक भव में ऐर्यापथिक कर्मपुद्गलों का ग्रहण करना, 'ग्रहणाकर्ष' है। भवाकर्ष की अपेक्षा यहाँ ८ भंग उत्पन्न होते हैं-उनका ॥ आशय क्रमशः इस प्रकार है- १. प्रथम भंग- 'बाँधा था, बाँधता है, बाँधेगा' यह भवाकर्षापेक्षया उस जीव में पाया जाता है, जिसने गतकाल (किसी पूर्वभव) में उपशमश्रेणी की थी, उस समय ऐर्यापथिक कर्म बाँधा था; वर्तमान में 5 में उपशम श्रेणी करता है, उस समय इसे बाँधता है और आगामी भव में उपशमश्रेणी करेगा, उस समय इसे ॥ बाँधेगा। २. द्वितीय भंग- 'बाँधा था, बाँधता है, नहीं बाँधेगा'- यह उस जीव में पाया जाता है, जिसने पूर्वभव में है उपशमश्रेणी की थी और ऐर्यापथिक कर्म बाँधा था. वर्तमान में क्षपक श्रेणी में इसे बाँधता है और फिर इसी भवन में मोक्ष चला जायेगा, इसलिए आगामी काल में नहीं बाँधेगा। ३. तृतीय भंग- 'बाँधा था, नहीं बाँधता है, बाँधेगा'-यह भंग उस जीव में पाया जाता है, जिसने पूर्वभव में उपशमश्रेणी की थी, उसमें बाँधा था, वर्तमान भव में श्रेणी नहीं करता, अतः यह कर्म नहीं बाँधता और भविष्य में उपशमश्रेणी या क्षपकश्रेणी करेगा, तब बाँधेगा। ४. चौथा भंग- 'बाँधा था, नहीं बाँधता है, नहीं बाँधेगा'-यह उस जीव में पाया जाता है, जो वर्तमान में चौदहवें गुणस्थान में विद्यमान है। उसने गतकाल (पूर्वकाल) में बाँधा था, वर्तमान में नहीं बाँधता और 卐 भविष्यकाल में भी नहीं बाँधेगा। ५. पंचम भंग- ‘नहीं बाँधा, बाँधता है, बाँधेगा'- यह उस जीव में पाया जाता है, जिसने पूर्वभव में उपशमश्रेणी नहीं की थी, अतः ऐर्यापथिक कर्म नहीं बाँधा था, वर्तमान भव में उपशमश्रेणी में , बाँधता है, आगामी भव में उपशमश्रेणी या क्षपक श्रेणी में बाँधेगा। ६. छठा भंग- 'नहीं बाँधा था, बाँधता है, नहीं बाँधेगा'-यह भंग उस जीव में पाया जाता है, जिसने पूर्वभव में उपशमश्रेणी नहीं की थी, अतः नहीं बाँधा था, 卐 वर्तमान भव में क्षपक श्रेणी में बाँधता है, इसी भव में मोक्ष चला जायेगा, इसलिए आगामी काल (भव) में नहीं बाँधेगा। ७. सप्तम भंग- 'नहीं बाँधा था, नहीं बाँधता है, बाँधेगा'- यह भंग उस जीव में पाया जाता है, जो जीव भव्य है, किन्तु भूतकाल में उपशमश्रेणी नहीं की, इसलिए नहीं बाँधा था, वर्तमानकाल में भी उपशमश्रेणी नहीं करता, इसलिए नहीं बाँधता, किन्तु आगामीकाल में उपशमश्रेणी या क्षपक श्रेणी करेगा, तब बाँधेगा। ८. अष्टमभंग-'नहीं बाँधा था, नहीं बाँधता, नहीं बाँधेगा'-यह भंग अभव्य जीव में पाया जाता है, जिसने पूर्वभव में ऐर्यापथिक कर्म नहीं बाँधा था, वर्तमान में नहीं बाँधता और भविष्य में भी नहीं बाँधेगा, क्योंकि अभव्य जीव ने उपशमश्रेणी या क्षपक श्रेणी नहीं की, न करता है; और न ही करेगा। एक ही भव में ऐर्यापथिक कर्मपुद्गलों के ग्रहणरूप 'ग्रहणाकर्ष' की दृष्टि से-१. प्रथम भंग-उस जीव में पाया जाता है, जिसने इसी भव में भूतकाल में उपशमश्रेणी या क्षपक श्रेणी के समय ऐर्यापथिक कर्म बाँधा था, ' वर्तमान में बाँधता है, भविष्य में बाँधेगा। २. द्वितीय भंग-तेरहवें गुणस्थान में एक समय शेष रहता है, उस ॥ समय पाया जाता है, क्योंकि उसने भूतकाल में बाँधा था, वर्तमानकाल में बाँधता है, और आगामीकाल में शैलेशी अवस्था में नहीं बाँधेगा। ३. तृतीय भंग-इसका स्वामी वह जीव है, जो उपशमश्रेणी करके उससे गिर : गया है। उसने उपशमश्रेणी के समय ऐर्यापथिक कर्म बाँधा था, अब वर्तमान में नहीं बाँधता और उसी भव में फिर उपशमश्रेणी करने पर बाँधेगा; क्योंकि एक भव में एक जीव दो बार उपशमश्रेणी कर सकता है। ४. चौथा ॥ 9555555555555555555555))))5555555555555558 IF IPIPIRIPIRIPIRIPI अष्टम शतक : अष्टम उद्देशक (171) Eighth Shatak: Eighth Lesson 1) ) )))))))) )))))))) )))) ))))) )))) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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