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सत्तमो उद्देसओ : ' अदत्ते' अष्टम शतक : सप्तम उद्देशक : अदत्त
EIGHTH SHATAK (Chapter Eight): SEVENTH LESSON: ADATT (NOT GIVEN)
अन्यतीर्थिकों के साथ स्थविरों का वाद HERETICS DISCUSS WITH STHAVIRS
१. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे । वण्णओ । गुणसिलए चेइए। वण्णओ, जाव पुढविसिलावट्टओ । तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अन्नउत्थिया परिवसंति ।
१. उस काल और उस समय में राजगृह नामक नगर था । वहाँ गुणशीलक नामक चैत्य था । ( उसका वर्णन औपपातिक सूत्र के समान जान लेना चाहिए ) यावत् पृथ्वी शिलापट्टक था। उस गुणशीलक चैत्य के आस-पास बहुत-से अन्यतीर्थिक रहते थे।
1. During that period of time there was a city called Rajagriha. Description (as before ). There was a Chaitya called Gunasheelak... and so on up to... There was a slab of stone. A little distance away from that Gunasheelak Chaitya lived many heretics (anyatirthik).
२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव समोसढे जाव परिसा पडिगया ।
२. उस लाल और उस समय में धर्मतीर्थ की आदि (स्थापना) करने वाले श्रमण भगवान् महावीर समवसृत हुए (पधारे) यावत् धर्मोपदेश सुनकर परिषद् वापिस चली गई।
2. During that period of time Bhagavan Mahavir, the founder of religious order ... and so on up to ... arrived and so on up to ... Bhagavan gave his sermon. People dispersed.
5 ३. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना जहा बितियसए ( स. २, उ. ५, सु. १२) जाव जीवियासामरणभयविष्पमुक्का समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा जाव विहरति ।
३. उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर स्वामी के बहुत-से शिष्य स्थविर भगवन्त म जातिसम्पन्न, कुलसम्पन्न इत्यादि दूसरे शतक में वर्णित गुणों से युक्त यावत् जीवन की आशा और मरण के भय से विमुक्त थे । वे श्रमण भगवान महावीर स्वामी के न अतिदूर, न अतिनिकट ऊर्ध्व जानु (घुटने F खड़े रखकर ), अधोशिरस्क (नीचे मस्तक नमा कर) ध्यानरूप कोष्ठ को प्राप्त होकर संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरण करते थे।
3. During that period of time many of Shraman Bhagavan Mahavir's senior ascetic disciples (Sthavir Bhagavant), endowed with virtues like jatisampanna (belonged to high castes), kulasampanna (came from noble
Eighth Shatak: Seventh Lesson
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5 अष्टम शतक: सप्तम उद्देशक
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