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________________ 95 ) )))))5555555555 पश्चात् भी समझ में नहीं आए तो गीतार्थ संतों की सेवा में जाकर उसको भली-भाँति समझने का प्रयास करें। इसके विवेचन में हमारे द्वारा पूर्व में किये गये भगवती सूत्र के विवेचन के अधिकाधिक अंश लिये गये हैं, साथ ही पण्डित श्री घेवरचन्द जी शास्त्री का हिन्दी विवेचन भी बहुत उपयोगी बना है। इस आगम में आये हुये महत्त्वपूर्ण शब्दों का अंग्रेजी पारिभाषिक शब्द-कोष परिशिष्ट रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो आधुनिक युवा पीढ़ी के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण प्रमाणित होगा, ऐसा हमारा विश्वास है। हमारे परम श्रद्धेय, परम वंदनीय गुरुदेव उ. भा. प्रवर्तक राष्ट्रसंत भंडारी श्री पद्मचंद्र जी म. सा. का आशीर्वाद पग-पग पर हमारा सम्बल रहा है। हम उन परम उपकारी गुरुदेव के प्रति विनयावनत् हैं। आशा और विश्वास है कि अंग्रेजी अनुवाद के साथ यह सचित्र भगवती सूत्र अनेक दृष्टियों से नवीनता लिए सबके लिये उपयोगी सिद्ध होगा। इसके संपादन आदि में सदा की तरह हमारे शिष्य श्री वरुण मुनि, स्व. श्रीचन्द जी सुराना 'सरस' के सुपुत्र श्री संजय सुराना एवं अंग्रेजी अनुवादक श्री सुरेन्द्र जी बोथरा ने पूर्ण सहयोग दिया है। इसी प्रकार इसके प्रकाशन में भी जिन गुरुभक्तों ने उदार हृदय से अर्थ-सहयोग प्रदान किया है, उन सबको हम हार्दिक साधुवाद देते हैं। -प्रवर्तक अमर मुनि जैन स्थानक, रायकोट (9) 95555)))) )) )) )) ) ) )) ) )) ))))) ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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