________________
555555555555555555955555 3555555555
055555555555555555555555555558
करेंतं णाणुजाणइ, मणसा वयसा १४; अहवा न करेति, करेंतं णाणुजाणइ, मणसा कायसा १५; अहवा + न करेति, करेंतं णाणुजाणति, वयसा कायसा १६; अहवा न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा
वयसा १७; अहवा न कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ, मणसा कायसा १८; अहवा न कारवेति, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा १९। __दुविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, मणसा २०; अहवा न करेति, न कारवेति, वयसा २१; अहवा न करेति, न कारवेति, कायसा २२; अहवा न करेति, करेंतं णाणुजाणइ, मणसा
२३; अहवा न करेइ, करेंतं णाणुजाणति, वयसा २४; अहवा न करेइ, करेंतं णाणुजाणइ, कायसा २५; म अहवा न कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ, मणसा २६; अहवा न कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ, वयसा २७;
अहवा न कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ, कायसा २८ । ___ एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, मणसा वयसा कायसा २९; अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ३०; अहवा करेंतं णाणुजाणति, मणसा वयसा कायसा ३१ । ___ एगविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा वयसा ३२; अहवा न करेति मणसा कायसा ३३; ॐ अहवा न करेइ वयसा कायसा ३४; अहवा न कारवेति मणसा वयसा ३५; अहवा न कारवेति मणसा
कायसा ३६; अहवा न कारवेइ वयसा कायसा ३७; अहवा करेंतं णाणुजाणति मणसा वयसा ३८; अहवा करेंतं णाणुजाणति मणसा, कायसा ३९; अहवा करेंतं णाणुजाणइ वयसा कायसा ४०। ___ एगविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा ४१; अहवा न करेति वयसा ४२; अहवा न
करेति कायसा ४३; अहवा न कारवेति मणसा ४४; अहवा न कारवेति वयसा ४५; अहवा न कारवेइ क कायसा ४६; अहवा करेंतं णाणुजाणइ मणसा ४७; अहवा करेंतं णाणुजाणति वयसा ४८; अहवा करेंतं णाणुजाणइ कायसा ४९।
५. [प्र. २ ] भगवन ! अतीतकाल में किये हुए प्राणातिपात आदि का प्रतिक्रमण करता हुआ श्रमणोपासक क्या १. त्रिविध-त्रिविध (तीन करण तीन योग से). २. त्रिविध-द्विविध (तीन करण दो म के योग से), ३. त्रिविध-एकविध (तीन करण, एक योग से), ४. द्विविध-त्रिविध (दो करण, तीन योग 9 से), ५. द्विविध-द्विविध (दो करण, दो योग से), (६) द्विविध-एकविध (दो करण, एक योग से), ७.
एकविध-त्रिविध (एक करण, तीन योग से), ८. एकविध-द्विविध (एक करण, दो योग से), अथवा ९. एकविध-एकविध (एक करण, एक योग से) प्रतिक्रमण करता है ?
[उ. ] गौतम ! वह त्रिविध-त्रिविध प्रतिक्रमण करता है, अथवा त्रिविध-द्विविध प्रतिक्रमण करता 9 है, अथवा यावत् एकविध- एकविध प्रतिक्रमण करता है।
१. जब वह त्रिविध-त्रिविध प्रतिक्रमण करता है, तब स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं और ॐ करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन से, वचन से और काया से।
२. जब त्रिविध-द्विविध प्रतिक्रमण करता है, तब स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं और # करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन से और वचन से; ३. अथवा वह स्वयं करता नहीं, कराता
अष्टम शतक : पंचम उद्देशक
(107)
Eighth Shatak : Fifth Lesson
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org