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Infinite times more than these are paryayas of Shrut-ajnana. Infinite 4 times more than these are paryayas of Mati-ajnana.
१४६. [प्र. ] एएसि णं भंते ! आभिणिबोहियणाणपज्जवाणं जाव केवलनाणपज्जवाणं, म मइअन्नाणपज्जवाणं, सुयअन्नाणपज्जवाणं, विभंगनाणपज्जवाण य कयरे कयरोहेंतो जाव विसेसाहिया वा ? 4 [उ. ] गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, विभंगनाणपज्जवा अणंतगुणा, ओहिणाणपज्जवा + अणंतगुणा, सुयअन्नाणपज्जवा अणंतगुणा, सुयनाणपज्जवा विसेसाहिया, मइअनाणपज्जवा अणंतगुणा, आभिणिबोहियनाणपज्जवा विसेसाहिया, केवलनाणपज्जवा अणंतगुणा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति०।
॥ अट्ठम सए : बितिओ उद्देसओ समत्तो ॥ ॐ १४६. [प्र. ] भगवन् ! इन (पूर्वोक्त) आभिनिबोधिकज्ञान-पर्याय यावत् केवलज्ञान पर्यायों तक में + तथा मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंगज्ञान के पर्यायों में किसके पर्याय, किसके पर्यायों से अल्प, ॐ बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
__[उ. ] गौतम ! सबसे थोड़े मनःपर्यायज्ञान के पर्याय हैं। उनसे विभंगज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। ॐ उनसे अवधिज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। उनसे श्रुत-अज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। उनसे श्रुतज्ञान के 5 पर्याय विशेषाधिक हैं। उनसे मति-अज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। उनसे मतिज्ञान के पर्याय विशेषाधिक हैं और केवलज्ञान के पर्याय उनसे अनन्तगुणे हैं। ___'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है'; यों कहकर यावत् गौतम स्वामी विचरण करने लगे। ___146. [Q.] Bhante ! Of the sub-categories (paryayas) of aforesaid
abhinibodhik-jnana... and so on up to... Keval-jnana, and of aforesaid s mati-ajnana, shrut-ajnana and vibhang-jnana which are comparatively less, more, equal and much more?
[Ans.) Gautam ! The paryayas of Manah-paryav-jnana are minimum. Infinite times more than these are paryayas of Vibhang-inana 45 knowledge). Infinite times more than these are paryayas of Avadhi4 jnana. Infinite times more than these are paryayas of Shrut-ajnana. E Much more than these are paryayas of Shrut-jnana. Infinite times more
than these are paryayas of Mati-ajnana. Much more than these are 15 paryayas of Abhinibodhik-jnana and infinite times more these are paryayas of Keval-jnana.
“Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so.” With these words... and so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
85555555555555555555555555555))))))))))))))
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भगवती सूत्र (३)
(90)
Bhagavati Sutra (3)
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