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[उ. ] गोयमा ! सच्चमणप्पयोगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणप्पयोगपरिणया वा अहवेगे
5 सच्चमणप्पयोगपरिणए, एगे मोसमणप्पओगपरिणए १ | अहवेगे सच्चमणप्पओगपरिणए, एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए २ । अहवेगे सच्चमणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ३ । 5 अहवेगे मोसमणप्पयोगपरिणए, एगे सच्चामोसमणप्पयोगपरिणए ४ | अहवेगे मोसमणप्पयोगपरिणए, एगे असच्चामोसमणप्पयोगपरिणए
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५।
अहवेगे
सच्चामोसमणप्पओगपरिणए,
एगे
5 असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ६ ।
[उ.] गौतम ! वे (दो द्रव्य) (१-४) सत्यमनःप्रयोगपरिणत होते हैं, यावत् असत्यामृषामनः
प्रयोगपरिणत होते हैं, या (५) उनमें से एक द्रव्य सत्यमनः प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा मृषामनः
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फ प्रयोगपरिणत होता है, अथवा (६) एक द्रव्य सत्यमनः प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा सत्यमृषामनः
८२. [ प्र.] भगवन् ! यदि वे (दो द्रव्य) मनः प्रयोगपरिणत होते हैं तो क्या सत्यमनः प्रयोगपरिणत
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होते हैं, या असत्यमनः प्रयोगपरिणत होते हैं, अथवा सत्यमृषामनः प्रयोगपरिणत होते हैं, या असत्यामृषामनः प्रयोगपरिणत होते हैं ?
5 प्रयोगपरिणत होता है, या (७) एक द्रव्य सत्यमनः प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा असत्यामृषामनः
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प्रयोगपरिणत होता है, अथवा (८) एक द्रव्य मृषामनः प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा सत्यमृषामनः
प्रयोगपरिणत होता है, या (९) एक द्रव्य मृषामनः प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा असत्यामृषामनः प्रयोगपरिणत होता है, अथवा (१०) एक द्रव्य सत्यमृषामनः प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा असत्यामृषामनःप्रयोगपरिणत होता है।
82. [Q.] Bhante ! If two substances are transformed due to conscious
activity of mind (manah-prayoga parinat), then are they transformed
due to truthful activity of mind (satya manah-prayoga parinat), 5 untruthful activity of mind (mrisha manah-prayoga parinat), truthful
5 untruthful activity of mind (satya-mrisha manah-prayoga parinat), or 卐 non-truthful-non-untruthful activity of mind (asatya-amrisha manahफ prayoga parinat) ?
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[Ans.] Gautam ! They could be transformed either due to (1-4) truthful conscious activity of mind (satya manah - prayoga parinat), or... and so on up to... non-truthful-non-untruthful conscious activity of mind फ्रं (asatya-amrisha manah-prayoga parinat ). Also (5) one of these substances could be transformed due to truthful activity of mind (satya manah-prayoga parinat) and the other due to untruthful activity of mind (mrisha manah-prayoga parinat), or (6) one of these substances could be transformed due to truthful activity of mind (satya manah-prayoga 卐 5 parinat) and the other due to truthful untruthful activity of mind (satya - 5 mrisha manah-prayoga parinat), or (7) one of these substances could be
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फ्र भगवती सूत्र (२)
(524)
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Bhagavati Sutra (2)
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