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[उ. ] णो इणट्ठे समट्ठे कालोदाई ! एगंसि णं पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि अजीवकायंसि चक्किया 5 केइ आसइत्तए वा सइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ।
९. [.] तब कालोदायी ने श्रमण भगवान महावीर से इस प्रकार पूछा- 'भगवन् ! क्या धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय, इन अरूपी अजीवकायों पर कोई बैठने, सोने, खड़े रहने, नीचे बैठने यावत् करवट बदलने आदि क्रियाएँ करने में समर्थ है ?'
फ्र
[ उ. ] हे कालोदायिन् ! यह अर्थ ( बात ) समर्थ नहीं है। एक पुद्गलास्तिकाय ही रूपी अजीवकाय 5 है, जिस पर कोई भी बैठने, सोने या यावत् करवट बदलने आदि क्रियाएँ करने में समर्थ है।
9. [Q.] Then Kalodayi asked Shraman Bhagavan Mahavir - "Bhante ! 5 When that is so, then is it possible for someone to perform activities like 5 sitting, sleeping, standing, sitting underneath and rolling on one's sides 5 the formless non-living entities including Dharmastikaaya, Adharmastikaaya and Akashastikaaya?
5 on
फ
[Ans.] Kalodayi ! That is not correct. Only Pudgalastikaaya (matter फ्र entity) is that non-living entity with form on which someone is able to 5 perform activities like sitting... and so on up to ... rolling on one's sides. १०. [ प्र. ] एयंसि णं भंते ! पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि अजीवकायंसि जीवाणं पावा कम्मा
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5 पावफलविवागसंजुत्ता कज्जंति ?
[ उ. ] णो इणट्ठे समट्ठे कालोदाई !
१०. [ प्र. ] भगवन् ! जीवों को पापफलविपाक से संयुक्त करने वाले (अशुभफलदायक ) पापकर्म, क्या इस रूपीकाय और अजीवकाय को लगते हैं ? क्या इस रूपीकाय और अजीवकायरूप पुद्गलास्तिकाय में पापकर्म लगते हैं ?
[ उ. ] कालोदायिन् ! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
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फ
10. [Q.] Bhante ! Does this Pudgalastikaaya, the non living entity 5 with form, acquire the demeritorious karmas, which on fruition associate beings with grave consequences?
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[Ans.] Kalodayi ! That is not correct.
११. [.] यंसि णं जीवत्थिकायंसि अरूविकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता 5 कज्जति ?
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[उ. ] हंता, कज्जंति ।
फ्र
पापकर्म
संयुक्त
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
१ १ . [ प्र. ] (भगवन् !) क्या इस अरूपी (काय) जीवास्तिकाय में जीवों को पापफलविपाक से युक्त लगते हैं ?
फ्र
[ उ. ] हाँ (कालोदायिन् !) लगते हैं । ( अर्थात् - अरूपी जीवास्तिकाय में ही जीव पापफलकर्म से होते हैं ।)
भगवती सूत्र ( २ )
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Bhagavati Sutra (2)
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