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८. 'कालोदाई' ति समणे भगवं महावीरे कालोदाई एवं वयासी - " से नूणं ते कालोदाई ! अन्नया काई एगयओ सहियाणं समुवागयाणं सन्निविद्वाणं तहेव (सू० ३) जाव से कहमेयं मन्त्रे एवं ? से नूणं फ कालोदाई ! अत्थे समट्टे ? हंता, अत्थि ।
८. 'हे कालोदायी !' इस प्रकार सम्बोधन करके श्रमण भगवान महावीर ने कालोदायी से इस
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तं सच्चे णं एसमट्टे कालोदाई ! अहं पंच अत्थिकाए पण्णवेमि, तं जहा - धम्मत्थिकायं जाव 5 पोग्गलत्थकायं । तत्थ णं अहं चत्तारि अत्थिकाए अजीवकाए पण्णवेमि तहेव जाव एगं च णं अहं पोगलत्थिकायं रूविकायं पण्णवेमि ।"
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७. उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर महाकथा - प्रतिपन्न (विशाल जन - समूह 卐 धर्मोपदेश देने में प्रवृत्त) थे। उसी समय कालोदायी उस स्थल में आ पहुँचा।
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7. During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir was busy giving discourse in a large congregation. At that time Kalodayi arrived there.
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प्रकार पूछा - 'हे कालोदायी ! क्या वास्तव में, किसी समय एक जगह सभी साथ आये हुए और एकत्र 5 सुखपूर्वक बैठे हुए तुम सबमें पंचास्तिकाय के सम्बन्ध में इस प्रकार विचार हुआ था कि यावत् 'यह बात कैसे मानी जाये ?' हे कालोदायिन् ! क्या यह बात यथार्थ है ?' (कालोदायी - ) 'हाँ, यथार्थ है ।'
सप्तम शतक: दशम उद्देशक
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(भगवन्- ) 'हे कालोदायी ! पंचास्तिकाय सम्बन्धी यह बात सत्य है । मैं धर्मास्तिकाय यावत् पुद्गलास्तिकाय - पर्यन्त पंच अस्तिकाय की प्ररूपणा करता हूँ । उनमें से चार अस्तिकायों को मैं जीवका बतलाता हूँ । यावत् पूर्व कथितानुसार एक पुद्गलास्तिकाय को मैं रूपीकाय (अजीवकाय) 5 ताता हूँ।'
(457)
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8. 'O Kalodayi!' Addressing thus Shraman Bhagavan Mahavir asked Kalodayi – “O Kalodayi ! One day you all came and sat comfortably 5 together at one place and deliberated about five Astikaayas... and so on 5 up to... How to accept this proposition ? Kalodayi ! Is that true ?” fi (Kalodayi-) 'Yes it is true.'
Seventh Shatak: Tenth Lesson
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(Bhagavan-) O Kalodayi! This statement about five Astikaayas is 卐 true. I propagate five Astikaayas including Dharmastikaaya (motion f entity )... and so on up to ... Pudgalastikaaya (matter entity). Of these four are non-living... and so on up to... (as aforesaid ) Only Pudgalastikaaya 5 (matter entity) is with form (rupi) and non-living entity (ajiva kaaya).” 卐 ९. [प्र. ] तए णं से कालोदाई समणं भगवं महावीरं एवं वयासी- एयंसि णं भंते ! धम्मत्थिकायंसि 5 अधम्मत्थिकायंसि आगासत्थिकायंसि अरूविकायंसि अजीवकायंसि चक्किया केइ आसइत्तए वा सइत्तए वा 5 चिट्ठित्तए वा निसीदित्तए वा तुयट्टित्तए वा ?
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