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16. (Q.) Bhante ! Why this Rath-musal battle is called Rath-musal 4 battle?
(Ans.) Gautam ! When the battle was on, a chariot (rath) without horses, charioteers or soldiers but equipped only with a mace (musal) was moving all around destroying men, killing men, crushing men and causing havoc by making the ground slimy with human blood. Gautam ! That is why this battle has been called Rath-musal battle.
१७. [प्र. ] रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियाओ ? [उ. ] गोयमा ! छण्णउतिं जणसयसाहस्सीओ वहियाओ। १७. [प्र.] भगवन् ! जब रथमूसल संग्राम हो रहा था, तब उसमें कितने लाख मनुष्य मारे गये?
[उ. ] गौतम ! रथमूसल संग्राम में छियानवे लाख मनुष्य मारे गये। ____17. [Q.] Bhante ! How many hundred thousand men were killed in this Rath-musal battle? ___ [Ans.] Gautam ! Ninety six hundred thousand men were killed in the Rath-musal battle.
१८. [प्र. ] ते णं भंते ! मणुया निस्सीला जाव (सु. १३) उववन्ना ?
[उ. ] गोयमा ! तत्थ णं दस साहस्सीओ एगाए मच्छियाए कुच्छिंसि उववन्नाओ, एगे देवलोगेसु क उववन्ने, एगे सुकुले पच्चायाते, अवसेसा ओसनं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववन्ना।
१८. [प्र. ] भगवन् ! निःशील (शीलरहित) यावत् वे मनुष्य मृत्यु के समय मरकर कहाँ गये, कहाँ म उत्पन्न हुए? 3 [उ. ] गौतम ! उनमें से दस हजार मनुष्य तो एक मछली के उदर में उत्पन्न हुए, एक मनुष्य फ़ देवलोक में उत्पन्न हुआ, एक मनुष्य उत्तम कुल (मनुष्यगति) में उत्पन्न हुआ, और शेष प्रायः नरक और
तिर्यंचयोनियों में उत्पन्न हुए हैं। (दोनों युद्धों का विस्तृत वर्णन सचित्र निरयावलिका, अध्ययन १ देखें) ॐ 18. [Q.] Bhante ! Where did these warring men devoid of good Si conduct... and so on up to... go after death and get reborn ?
[Ans.] Gautam ! Of these, ten thousand men were reborn in the womb 15 of a fish, one was reborn in divine realm, one was reborn as a human 4 being and most of the remaining got reborn among infernal beings or 4 animals. (for detailed description of the two battles refer to Illustrated + Niryavalika Sutra, Chapter 1) ॐ शक्र-चमरेन्द्र के सहयोग का हेतु CAUSE OF HELP FROM SHAKRENDRA AND CHAMARENDRA
१९. [प्र. ] कम्हा णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रण्णो ॐ साहजं दलइत्था ?
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भगवती सूत्र (२)
(442)
Bhagavati Sutra (2)
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