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२. [ प्र. ] भगवन् ! क्या वास्तव में, हाथी और कुन्थुए का जीव समान है ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! हाथी और कुन्थुए का जीव समान है। इस विषय में रायपसेणीय (राजप्रश्नीय) सूत्र में कहे अनुसार यावत् 'खुड्डियं वा महालियं वा' इस पाठ तक कहना चाहिए।
गौतम ! इसी कारण से हाथी और कुंथुए का जीव समान है।
2. [Q.] Bhante ! Is the soul of an elephant, in fact, the same as that of 5
an insect (kunthu)?
दण्डकवर्ती जीवों द्वारा कृत पापकर्म दुःखरूप SINS ARE MISERY
३. [ प्र.] नेरइयाणं भंते! पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जति, जे य कज्जिस्सति सव्वे से दुक्खे ? जे निज्जिणे से णं सुहे ?
[उ. ] हंता, गोयमा ! नेरइयाणं पावे कम्मे जाव सुहे ।
सप्तम शतक : अष्टम उद्देशक
[Ans.] Yes, Gautam ! The soul of an elephant is the same as that of an insect (kunthu). In this regard quote the statement from Raipaseniya H (Rajaprashniya) Sutra up to khuddyam va mahaliyam'. Gautam ! That 5 why souls of elephant and insect are same.
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विवेचन : राजप्रश्नीयसूत्र में कहा है-समान जीवत्व की सदृष्टान्त प्ररूपणा - हाथी का शरीर बड़ा और कुंथुए 5 छोटा होते हुए भी दोनों में मूलतः आत्मा (जीव) समान है, इसे सिद्ध करने के लिए राजप्रश्नीयसूत्र में दीपक 5 का दृष्टान्त दिया गया है। जैसे- एक दीपक का प्रकाश एक कमरे में फैला हुआ है, यदि उसे किसी बर्तन द्वारा ढँक दिया जाये तो उसका प्रकाश बर्तन-परिमित हो जाता है, इसी प्रकार जब जीव हाथी का शरीर धारण करता है तो वह (आत्मा) उतने बड़े शरीर में व्याप्त रहता है और जब कुंथुए का शरीर धारण करता है तो फ्र उसके छोटे-से शरीर में (आत्मा) व्याप्त रहता है। इस प्रकार केवल छोटे-बड़े शरीर का ही अन्तर रहता है कुछ भी अन्तर नहीं है। सभी जीव समान रूप से असंख्यात प्रदेशों वाले हैं। उन प्रदेशों का संकोचविस्तार मात्र होता है। आत्मा सबमें समान हैं । (देखें - सचित्र रायपसेणियसूत्र, पृ. ३७८ )
जीव में
Seventh Shatak: Eighth Lesson
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Elaboration-Rajaprashniya states: Similarity of souls explained by order to establish that although an elephant has a larger
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body than an insect, their souls are the same, Rajaprashniya Sutra gives the example of a lamp. The light of a lamp spreads all around a room. If this lamp is covered by a bowl its light gets confined within the bowl. In the same way when a soul acquires the body of an elephant it encompasses that large body and when it acquires the body of an insect 卐 it is confined to that small body. This way the difference of large and फ्र small is in the bodies, the souls are same. All souls are same, with infinite space-points, only there is an expansion or contraction of the space occupied by these space-points. (see Illustrated Raipaseniya Sutra, p. 378) चौबीस
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