________________
卐
फफफफफफफफफफफ
FELEL
फ़फ़
महावेदना - अल्पवेदना GREAT AND LITTLE PAIN
७. [.] जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! किं इहगए महावेदणे, उववज्जमाणे महावेदणे उववन्ने महावेदणे ?
[उ. ] गोयमा ! इहगते सिय महावेयणे, सिय अप्पवेदणे; उववज्जमाणे सिय महावेदणे, सिय अप्पवेदणे; अहे णं उववन्ने भवति तओ पच्छा एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, आहच्च सायं ।
7. [Q.] Bhante ! Does a jiva (soul) destined to be born
among infernal
beings experiences great pain right here during this birth, or experiences great pain while he is in the process of being born in hell, or experiences great pain after he is born in hell?
卐
卐
७. [ प्र. ] भगवन् ! जो जीव नारकों में उत्पन्न होने वाला है क्या वह यहाँ (इस भव में) रहता हुआ फ
ही महावेदना वाला हो जाता है, या नरक में उत्पन्न होता हुआ महावेदना वाला होता है, अथवा नरक में 5 उत्पन्न होने के पश्चात् महावेदना वाला होता है ?
[Ans.] Gautam ! That jiva (soul) sometimes experiences great pain and sometimes not during this birth. He sometimes experiences great pain and sometimes not while he is in the process of being born in hell. But after he is born in hell he mostly experiences great pain and very rarely some relief or pleasure.
[उ.] गौतम ! वह ( नरक में उत्पन्न होने वाला जीव ) इस भव में रहा हुआ कदाचित् महावेदना 5 वाला होता है, कदाचित् अल्पवेदना वाला होता है। नरक में उत्पन्न होता हुआ भी कदाचित् महावेदना 卐 वाला और कदाचित् अल्पवेदना वाला होता है; किन्तु जब नरक में उत्पन्न हो जाता है, तब वह एकान्त दुःखरूप वेदना वेदता है, कदाचित् सुख (साता) रूप (वेदना वेदता है)।
८. [ प्र. १ ] जीवे णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए पुच्छा ।
[उ.] गोयमा ! इहगते सिय महावेदणे, सिय अप्पवेदणे; उववज्जमाणे सिय महावेदणे, सिय अप्पवेदणे; अहे णं उववन्ने भवति तओ पच्छा एगंतसातं वेदणं वेदेति, आहच्च असातं ।
[ २ ] एवं जाव थणियकुमारेसु ।
८. [ प्र. १ ] भगवन् ! जो जीव असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाला है, ( उसके सम्बन्ध में भी ) यही प्रश्न है।
5 सप्तम शतक छटा उद्देशक
卐
फफफफhhh
Jain Education International
卐
For Private & Personal Use Only
ㄓ
[ उ. ] गौतम ! (असुरकुमारों
卐
उत्पन्न होने वाला जीव) यहाँ (इस भव में) रहा हुआ तथा वहाँ उत्पन्न होता हुआ कदाचित् महावेदना वाला और कदाचित् अल्पवेदना वाला होता है, किन्तु जब वह वहाँ उत्पन्न हो जाता है, तब एकान्तसुख (साता) रूप वेदना वेदता है, कदाचित् दुःख (असाता ) रूप 5 वेदना वेदता है।
[ २ ] इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक कहना चाहिए।
(391)
फफफफफफफफफफफफफफफ
Seventh Shatak: Sixth Lesson
卐
卐
卐
卐
www.jainelibrary.org