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२०. [प्र. १] भगवन् ! जो वेदना का समय है, क्या वह निर्जरा का समय है और जो निर्जरा का समय है, वह वेदना का समय है ?
[उ. ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
[प्र. २ ] भगवन् ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि जो वेदना का समय है, वह निर्जरा का समय नहीं है और जो निर्जरा का समय है, वह वेदना का समय नहीं है ?
[उ.] गौतम ! जिस समय में वेदते हैं, उस समय निर्जरा नहीं करते और जिस समय निर्जरा करते हैं, उस समय वेदन नहीं करते। अन्य समय में वेदन करते हैं और अन्य समय में निर्जरा करते हैं। ॐ वेदना का समय दूसरा है और निर्जरा का समय दूसरा है। इसी कारण से, हे गौतम ! मैं कहता हूँ कि यावत निर्जरा का जो समय है. वह वेदना का समय नहीं है।
20. [Q. 1] Bhante ! Is it true that what is the time of experiencing (vedana) karma is also the time of shedding (nirjara) it? And what is the time of shedding karma is also the time of experiencing it ?
[Ans.] Gautam ! That is not correct.
IQ. 2] Bhante ! Why is it said that what is the time of experiencing is not the time of shedding ? And what is the time of shedding is not the time of experiencing ?
[Ans.] Gautam ! At the time of experiencing shedding is not done and at the time of shedding experiencing is not done. Experiencing is done at a different time and shedding is done at a different time. Time of experiencing is different and that of shedding is different. That is why I say that... and so on up to... what is the time of shedding is not the time of experiencing.
२१. [प्र. १] नेरइयाणं भंते ! जे वेदणासमए से निजरासमए ? जे निजरासमए से वेदणासमए ?
[उ. ] गोयमा ! णो इणढे समढे। म [प्र. २] से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ 'नेरइयाणं जे वेदणासमए न से निजरासमए, जे निज्जरासमए न से वेदणासमए' ?
[उ.] गोयमा ! नेरइया णं जं समयं वेदेति णो तं समयं निजरेंति, जं समयं निजरेंति नो तं समयं ॐ वेदेति; अन्नम्मि समए वेदेति, अन्नम्मि समए निजरेंति; अन्ने से वेदणासमए, अन्ने से निजरासमए। से + तेणट्टेणं जाव न से वेदणासमए। म २२. एवं जाव वेमाणियाणं।
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भगवती सूत्र (२)
(380)
Bhagavati Sutra (2)
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