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[ उ. ] गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे ।
[प्र. २] से केणट्टेणं जाव 'णो तं वेदिस्संति' ?
[ उ. ] गोयमा ! कम्मं वेदिस्संति, नोकम्मं निज्जरिस्संति । से तेणद्वेणं जाव नो तं निज्जरि (वेदि) स्संति । १९. एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया ।
१८. [ प्र. १ ] भगवन् ! क्या वास्तव में, जिस कर्म का वेदन करेंगे, उसकी निर्जरा करेंगे और जिस कर्म की निर्जरा करेंगे, उसका वेदन करेंगे ?
[ उ. ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है ।
[प्र. २ ] भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते हैं कि यावत् उसका वेदना नहीं करेंगे ?
[ उ. ] गौतम ! कर्म का वेदन करेंगे, नोकर्म की निर्जरा करेंगे। इस कारण से ऐसा कहा जाता है कि जिसका वेदन करेंगे, उसकी निर्जरा नहीं करेंगे और जिसकी निर्जरा करेंगे, उसका वेदन नहीं करेंगे।
१९. इसी तरह नैरयिकों के विषय में जान लेना चाहिए। यावत् वैमानिक पर्यन्त चौबीस ही दण्डकों में इसी तरह कहना चाहिए।
18. [Q. 1] Bhante ! Is it true that the karma that will be experienced (vedana) will also be shed and that which will be shed will also be experienced?
[Ans.] Gautam ! That is not correct.
[Q. 2] Bhante ! Why is it said that... and so on up to ... that which will be shed will not be experienced?
19. The same should be repeated for infernal beings... and so on up to... (all twenty four Dandaks) up to Vaimaniks.
२०. [प्र.१ ] से नूणं भंते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए, जे निज्जरासमए से वेदणासमए ? [ उ. ] गोयमा ! नो इणट्टे समट्ठे ।
[Ans.] Gautam ! Karma is what will be experienced and no-karma is फ what will be shed. That is why, Gautam ! I say that... and so on up to... that which will be shed will not be experienced.
[प्र. २ ] से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति 'जे वेदणासमए न से णिज्जरासमए, जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ?
[ उ. ] गोयमा ! जं समयं वेदेंति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेंति; अन्नम्म समए वेदेंति, अन्नम्मि समए निज्जरेंति; अन्ने से वेदणासमए, अन्ने से निज्जरासमए । से तेणद्वेणं जावन से वेदणासमए ।
सप्तम शतक : तृतीय उद्देशक
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Seventh Shatak: Third Lesson
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