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14. (Q.) Bhante ! Are the karmas that have been experienced (vedana) 4 by infernal beings have also been shed (nirjara)?
[Ans.] Gautam ! The aforesaid (answer of aphorism 13) should be repeated about infernal beings also.
15. The same should be repeated for (all twenty four Dandaks) up to Vaimaniks.
१६. [प्र. १ ] से नूणं भंते ! जं वेदेति तं निजरिंति, जं निजरेंति तं वेदेति ? [उ. ] गोयमा ! नो इणढे समढे। [प्र. २ ] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति जाव 'नो तं वेदेति' ? [उ. ] गोयमा ! कम्मं वेदेति, नोकम्मं निज्जरेंति। से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो तं वेदेति। १७. एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया।
१६. [प्र. १ ] भगवन् ! क्या वास्तव में जिस कर्म को वेदते हैं, उसकी निर्जरा करते हैं और 卐 जिसकी निर्जरा करते हैं, उसको वेदते हैं ?
[उ.] गौतम ! यह अर्थ उपयुक्त नहीं है।
[प्र. २ ] भगवन् ! यह आप किस कारण से कहते हैं कि जिसको वेदते हैं, उसकी निर्जरा नहीं करते और जिसकी निर्जरा करते हैं, उसको वेदते नहीं हैं ?
[उ. ] गौतम ! कर्म को वेदते हैं, और नोकर्म को निर्जीर्ण करते हैं। इस कारण से हे गौतम ! मैं मैं कहता हूँ कि यावत् जिसको निर्जीर्ण करते हैं, उसका वेदन नहीं करते।
१७. इसी तरह नैरयिकों के विषय में जानना चाहिए। यावत् वैमानिक पर्यन्त चौबीस ही दण्डकों में इसी तरह कहना चाहिए।
16. [Q. 1] Bhante ! Is it true that the karma that is experienced (vedana) is also shed and that which is shed is also experienced ?
(Ans.] Gautam ! That is not correct.
[Q.2] Bhante ! Why is it said that... and so on up to... that which is shed is not experienced ?
[Ans.] Gautam ! Karma is what is experienced and no-karma is what is shed. That is why, Gautam ! I say that... and so on up to... that which is shed is not experienced.
17. The same should be repeated for infernal beings... and so on up to... (all twenty four Dandaks) up to Vaimaniks.
१८. [प्र. १ ] से नूणं भंते ! जं वेदिस्संति तं निजरिस्संति ? जं निजरिस्संति तं वेदिस्संति ?
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भगवती सूत्र (२)
(378)
Bhagavati Sutra (2)
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