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卐 ३०. इसी प्रकार मनुष्य भी तीनों ही प्रकार के हैं ।
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5 types.
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३१. पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव प्रारम्भ के विकल्प से रहित हैं, (अर्थात् वे प्रत्याख्यानी नहीं हैं), किन्तु अप्रत्याख्यानी हैं या प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यानी हैं।
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३२. शेष सभी जीव यावत् वैमानिक तक अप्रत्याख्यानी हैं।
29. [Q.] Bhante ! Are living beings pratyakhyani ( renouncers), apratyakhyani (non-renouncer) or pratyakhyani-apratyakhyani
(renouncer-non-unrenouncers or partial renouncers) ?
[Ans.] Gautam ! Living beings are renouncers, (non-renouncers and renouncer-non-renouncers or partial renouncers too). Or of all the three
30. In the same way human beings are also of all the three types.
31. Five sensed animals have absence of the first alternative (i. e.
they are not renouncers) but are non-renouncers and partial renouncers. 32. All the remaining beings up to Vaimanik are non-renouncers.
३३. [प्र.] एतेसि णं भंते ! जीवाणं पच्चक्खाणीणं जाव विसेसाहिया वा ?
३३. [ प्र. ] भगवन् ! इन प्रत्याख्यानी आदि जीवों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
[ उ. ] गौतम ! सबसे अल्प जीव प्रत्याख्यानी हैं, उनसे प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यानी असंख्येयगुणे हैं और उनसे अप्रत्याख्यानी अनन्तगुणे हैं।
33. [Q.] Bhante ! Of these pratyakhyani ( renouncer) and other aforesaid living beings (jivas), which are less (or more or equal or much 5 more) than the other ?
[Ans.] Gautam ! Of these living beings minimum are renouncers, innumerable times more than these are partial renouncers and infinite times more than these are non-renouncers.
३४. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया सव्वत्थोवा पच्चक्खाणापच्चक्खाणी अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ।
[उ. ] गोयमा ! सव्वत्थोवा जीव पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी 5
३५. मणुस्सा सव्वत्थोवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ।
३४. पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों में प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यानी जीव सबसे थोड़े हैं, और उनसे असंख्यातगुणे अप्रत्याख्यानी हैं।
सप्तम शतक: द्वितीय उद्देशक
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Seventh Shatak: Second Lesson
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