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[उ. ] गौतम ! (१) जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी, प्रासुक और एषणीय अशन-पान-खादिम-स्वादिम + रूप चतुर्विध आहार को सूर्योदय से पूर्व ग्रहण करके सूर्योदय के पश्चात् उस आहार को सेवन करते हैं, हे गौतम ! यह क्षेत्रातिक्रान्त पान-भोजन कहलाता है।
(२) जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी यावत् चतुर्विध आहार को प्रथम प्रहर में ग्रहण करके अन्तिम प्रहर 5 तक रखकर सेवन करते हैं, हे गौतम ! यह कालातिक्रान्त पान-भोजन कहलाता है।
(३) जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी यावत् चतुर्विध आहार को ग्रहण करके आधे योजन (दो कोस) की मर्यादा (सीमा) का उल्लंघन करके खाते हैं, हे गौतम ! यह मार्गातिक्रान्त पान-भोजन कहालाता है।
(४) जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी प्रासुक एवं एषणीय यावत् आहार को ग्रहण करके कुक्कुटीअण्डक ॐ (मुर्गी के अण्डे के) प्रमाण बत्तीस कवल (कौर या ग्रास) की मात्रा से अधिक (उपरान्त) आहार करता है, तो हे गौतम ! यह प्रमाणातिक्रान्त पान-भोजन कहलाता है।
कुक्कुटी-अण्डे जितने आठ कवल का आहार करने वाला साधु 'अल्पाहारी' कहलाता है। म कुक्कुटी-अण्डे जितने बारह कवल का आहार करने वाला साधु अपार्द्ध अवमोदरिका (किंचित् न्यून अर्ध
ऊनोदरी) वाला होता है। कुक्कुटी-अण्डे जितने सोलह कवल का आहार करने वाला साधु द्विभागप्राप्त आहार वाला (अर्धाहारी) कहलाता है। कुक्कुटी-अण्डे जितने चौबीस कवल का आहार करने वाला है साधु ऊनोदरिका वाला होता है। कुक्कुटी-अण्डे जितने बत्तीस कवल का आहार करने वाला साधु प्रमाणप्राप्त (प्रमाणोपेत) आहारी कहलाता है। इस (बत्तीस कवल) से एक भी ग्रास कम आहार करने वाला श्रमणनिर्ग्रन्थ 'प्रकामरसभोजी' (अत्यधिक मधुरादि रसभोक्ता) नहीं है, यह कहा जा सकता है। हे
गौतम ! यह क्षेत्रातिक्रान्त, कालातिक्रान्त, मार्गातिक्रान्त और प्रमाणातिक्रान्त पान-भोजन का अर्थ ॐ कहा है।
19. (Q.) Bhante ! What is the meaning of taking food and drink with following transgressions-(1) Kshetratikrant (transgression related to
movement of the sun). (2) Kaalatikrant (transgression related 41 to time). (3) Maargatikrant (transgression related to distance). Si (4) Pramanatikrant (transgression related to quantity).
[Ans.] Gautam ! (1) Suppose a male or female ascetic collects pure (prasuk) and prescribed (eshaniya) staple food, liquids, general food, and savoury food (ashan, paan, khadya, svadya), before sunrise and eats it after sunrise. Gautam ! This is called eating and drinking with the fault of transgression of prescribed code related to the movement of the sun (Kshetratikrant paan-bhojan). ____ (2) Suppose a male or female ascetic collects pure (prasuk)... and so on up to... savoury food during the first quarter of the day and eats it is during the last quarter of the day. Gautam ! This is called eating and
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| भगवती सूत्र (२)
(344)
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