________________
फफफफफफफफफ
food (ashan, paan, khadya, svadya ), and while eating gets fond of (murchhit), infatuated with (griddha ), captivated by ( baddha) and obsessed with (aasakt) that food, then Gautam ! that food is said to have the fault called angaar dosh. When a male or female ascetic collects pure (prasuk) and prescribed (eshaniya ) staple food, liquids, general food, and savoury food (ashan, paan, khadya, svadya), and while eating, gets dissatisfied, angry and irritated with that food, then Gautam ! that food is said to have the fault called dhoom dosh. When a male or female ascetic collects pure (prasuk)... and so on up to... savoury food, and while eating, mixes enriching (taste etc.) ingredients with that food, then Gautam that food is said to have the fault called samyojana dosh. Gautam! This is the meaning of food and drink with these faultsangaar dosh, dhoom dosh and samyojana dosh.
१८. [ प्र. ] अह भंते ! वीतिंगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाण- भोयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ?
[ उ. ] गोयमा ! जे णं णिग्गंथे वा २ जाव पडिगाहेत्ता अमुच्छिए जाव आहारेइ एस णं गोयमा ! वीतिंगले पाण - भोयणे । जे णं निग्गंथे वा २ जाव पडिगाहेत्ता णो महयाअप्पत्तियं जाव आहारेइ, एस णं गोयमा ! वीतधूमे पाण- भोयणे । जे णं निग्गंथे वा २ जाव पडिगाहेत्ता जहा लद्धं तहा आहारं आहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणादोसविप्पमुक्के पाण- भोयणे । एस णं गोयमा ! वीतिंगालस्स वीतधूमस्स संजोयणादोसविप्यमुक्कस्स पाण- भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते ।
१८. [ प्र. ] भगवन् ! अंगारदोष, धूमदोष और संयोजनादोष; इन तीन दोषों से मुक्त पान - भोजन का क्या अर्थ कहा है ?
[उ.] गौतम ! जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी प्रासुक और एषणीय अशन-पान - खादिम - स्वादिम रूप चतुर्विध आहार को ग्रहण करके मूर्च्छारहित यावत् आसक्तिरहित होकर आहार करते हैं, हे गौतम! यह अंगारदोषरहित पान- भोजन कहलाता है। जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी यावत् अशनादि को ग्रहण करके अत्यन्त अप्रीतिपूर्वक यावत् आहार नहीं करता है, हे गौतम ! यह धूम दोषरहित पान - भोजन है। जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी यावत् अशनादि को ग्रहण करके, जैसा मिला है, वैसा ही आहार कर लेते हैं (दूसरे पदार्थों का संयोग नहीं करते), तो हे गौतम! यह संयोजनादोषरहित पान-भोजन कहलाता है। हे गौतम ! यह अंगारदोषरहित, धूमदोषरहित एवं संयोजनादोषविमुक्त पान - भोजन का अर्थ कहा गया है।
18. [Q.] Bhante ! What is the meaning of food and drink without these faults——angaar dosh, dhoom dosh and samyojana dosh ?
[Ans.] Gautam ! When a male or female ascetic collects pure (prasuk) and prescribed (eshaniya) staple food, liquids, general food, and savoury food (ashan, paan, khadya, svadya), and while eating, does not get fond
भगवती सूत्र (२)
Bhagavati Sutra (2)
Jain Education International
(342)
For Private & Personal Use Only
फ्र
www.jainelibrary.org