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activities without upayog (careful application of knowledge) acts contrary to Sutra (Agam). Gautam ! That is why he is liable of involvement in Samparayiki kriya.
विवेचन : प्रस्तुत सूत्र में 'अहासुत्तं' का विशेष अर्थ है-११वें से १३वें गुणस्थानवर्ती यथाख्यात चारित्री अनगार तथा 'उत्सूत्र' का अर्थ है-यथाख्यात चारित्र के विपरीत प्रवृत्ति करना।
Elaboration - In this aphorism the term ahasuttam (according to Agams) has a special meaning that points at the ascetics at the level of 11 to 13 Gunasthaans and follow Yathakhyat chaaritra (conduct conforming to perfect purity). And utsutra means acting contrary to the same. अंगारादि दोषयुक्त पान- भोजन FAULTY FOOD
१७. [प्र. ] अह भंते ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाणभोयणस्स के अटे पण्णत्ते ? _[उ. ] गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज्जं असण-पाण-खाइम-साइमं पडिगाहित्ता मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारं आहारेइ एस णं गोयमा ! सइंगाले पाण-भोयणे। जे णं निग्गंथे वा निग्गंधी वा फासुएसणिज्जं असण-पाण-खाइम-साइमं पडिगाहित्ता महयाअप्पत्तियं कोहकिलामं करेमाणे आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! सधूमे पाणभोयणे। जे णं निग्गंथे वा २ जाव पडिग्गाहित्ता गुणुप्पायणहेतुं अन्नदघेणं सद्धिं संजोएत्ता आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणादोसदुढे पाण-भोयणे। एस णं गोयमा ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाण-भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते।
१७. [प्र. ] भगवन् ! अंगारदोष, धूमदोष और संयोजनादोष से दूषित पान-भोजन (आहार-पानी) का क्या अर्थ कहा है ?
[उ. ] गौतम ! जो निर्ग्रन्थ अथवा निर्ग्रन्थी प्रासुक और एषणीय अशन-पान-खादिम-स्वादिम रूप आहार ग्रहण करके उसमें मूर्छित, गृद्ध, ग्रथित और आसक्त (मोह में एकाग्रचित्त) होकर आहार करते हैं, हे गौतम ! यह अंगार-दोष से दूषित आहार-पानी कहलाता है। जो निर्ग्रन्थ अथवा निर्ग्रन्थी, प्रासुक
और एषणीय अशन-पान-खादिम-स्वादिम रूप आहार ग्रहण करके, उसके प्रति अत्यन्त अप्रीतिपूर्वक, क्रोध से खिन्नता करते हुए आहार करते हैं, तो हे गौतम ! यह धूम-दोष से दूषित आहार-पानी कहलाता है। जो निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थी प्रासुक यावत् आहार ग्रहण करके गुण (स्वाद) उत्पन्न करने हेतु दूसरे पदार्थों के साथ संयोग करके आहार-पानी करते हैं, हे गौतम ! वह आहार-पानी संयोजनादोष से दूषित कहलाता है। हे गौतम ! यह अंगारदोष, धूमदोष और संयोजनादोष से दूषित पान-भोजन का अर्थ कहा है।
17. (Q.) Bhante ! What is the meaning of food and drink with these faults-angaar dosh, dhoom dosh and samyojana dosh ?
[Ans.] Gautam ! When a male or female ascetic collects pure (prasuk) and prescribed (eshaniya) staple food, liquids, general food, and savoury
सप्तम शतक : प्रथम उद्देशक
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Seventh Shatak : First Lesson
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